देश में अलग-अलग राज्यों में विभिन्न प्रकार के अनाजों को उगाया और खाया जाता है, लेकिन भारतीयों के भोजन में चावल के बाद गेहूं का दूसरा स्थान है. देश के कई राज्यों में रबी सीजन में गेहूं की खेती प्रमुखता से की जाती है. गेहूं के बालियां की लंबाई, दानों की संख्या और दाने की मोटाई सबकुछ तापमान पर ही निर्भर करता है. वहीं जलवायु परिवर्तन की वजह से गर्मी के शुरुआती दौर में ही बढ़ते तापमान के प्रभाव से गेहूं की फसल को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. गौरतलब है कि रबी सीजन 2021-22 के दौरान भी तापमान में ऐसा ही असामान्य रूप से उछाल देखा गया था. जिसने गेहूं की उपज पर विपरीत प्रभाव डाला था.
उच्च तापमान के कारण राष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की उपज 2020-21 के दौरान 3,521 किलोग्राम/हेक्टेयर से घटकर 2021-22 के दौरान 3,484 किलोग्राम/हेक्टेयर हो गई थी. ऐसे में पीएयू और अन्य कृषि अनुसंधान संस्थानों तापमान की वजह से फसल पर पड़ने वाले असर को कम करने के लिए सलाह जारी की हैं. आइए पांच पॉइंट में समझते हैं कि गेहूं की फसल को अधिक तापमान से कैसे बचाया जा सकता है.
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साल 2021-22 के दौरान किए गए सर्वेक्षणों से पता चला है कि अधिक तापमान में भी पंजाब में पीबीडब्ल्यू 766 (सुनेहरी) का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा था. अन्य किस्मों जैसे- पीबीडब्ल्यू 824, पीबीडब्ल्यू 869, डीबीडब्ल्यू 187 और पीबीडब्ल्यू 677 आदि किस्मों से भी अच्छी उपज मिली थी. वहीं राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परीक्षणों में, पीबीडब्ल्यू 826 ने उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्र यानी पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू और हिमाचल प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन किया था. ऐसे में किसान इन किस्मों की बुवाई कर सकते हैं.
यदि तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है, तो मार्च के अंत तक बार-बार हल्की सिंचाई करनी चाहिए. हालांकि, पानी लगाव सिंचाई से बचने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि पानी लगाव सिंचाई के कारण फसल में तनाव होता है.
सामान्य और देरी से बुवाई के लिए बाजार में कई किस्में उपलब्ध हैं. लेकिन बहुत किसान देरी से बुवाई करने भी सामान्य किस्मों की ही बुवाई कर देते हैं. इन किस्मों की अवधि लंबी होती है और जब देरी से बुवाई होती है, तो तापमान के प्रभाव के कारण अधिक नुकसान होता है. अत: किस्मों का चयन बुवाई की तारीख के आधार पर किसानों को करना चाहिए.
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धान की कई ऐसी किस्में हैं जिनको तैयार होने में ज्यादा वक्त लगता है. ऐसी लंबी अवधि के धान की किस्मों को किसानों को नहीं बुवाई करनी चाहिए, क्योंकि इससे गेहूं की बुवाई में देरी होती है. नतीजतन गेहूं की फसल प्रभावित होती है.
हैप्पी सीडर से गेहूं की बुवाई करने से धान के अवशेषों वाले खेतों में मिट्टी की सतह पर पलवार मिल जाती है. यह मल्च मार्च-अप्रैल के दौरान मिट्टी और कैनोपी के तापमान को हल्का रखता है और फसल को उच्च तापमान तनाव सहन करने में सक्षम बनाता है.
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