मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में सोमवार को काफी तेज हवाएं चलीं. साथ में बारिश और ओले भी गिरे. इससे पूरे इलाके में कई फसलों का भारी नुकसान हुआ है. इस इलाके में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जाती है. इससे अफीम की फसल को भारी नुकसान हुआ है.
मंदसौर में खेती के लिए अफीम का लाइसेंस हर साल सेंट्रल नारकोटिक्स विभाग देता है. किसानों की इस फसल का निरीक्षण और आकलन भी सेंट्रल नारकोटिक्स विभाग ही करता है. सोमवार को अचानक हुई ओलावृष्टि और बारिश से पौधों पर आई अफीम बारिश के पानी में भीग कर बह गई.
बारिश और ओलावृष्टि से अफीम के पौधों के सारे पत्ते टूट गए. किसानों के मुताबिक अफीम के पत्ते टूटने की वजह से काफी नुकसान होता है. यदि पत्ते नहीं रहते तो अफीम भी नहीं आ पाती. इस तरह बारिश ने किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया है.
अफीम की चिराई इन दिनों चल ही रही थी. ऐसे में बारिश और ओलों के गिरने से सारी फसल बर्बाद हो गई. अफीम के फूल की चिराई के बाद ही अफीम बाहर निकलती है. लेकिन बारिश ने इस पूरी प्रक्रिया को प्रभावित कर दिया है.
अफीम के अलावा गेहूं और रचगा (पशुओं का चारा) भी खत्म हो गया है. अफीम के साथ लगीं बाकी कई रबी फसलें भी बारिश और ओला गिरने से प्रभावित हुई हैं. इस बमौसम बारिश ने इस पूरे इलाके के किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं.
अफीम के खेत में काम करने वाले किसान गोरधन लाल ने बताया कि अफीम की फसल में काफी नुकसान हो गया है. इसमें सारे पत्ते टूट गए जिससे अब इसमें अफीम आना मुश्किल है. अफीम के इस नुकसान से उनकी सारी मेहनत बेकार हो गई है.
मंदसौर के किसानों ने बताया कि अफिम के अलावा गेहू, गन्ना में भी काफी नुकसान हुआ है. गेहूं की बालियां बारिश और ओलों से टूट गई हैं. बारिश की वजह से गेहूं के पौधे खेतों में लोट गए हैं जिनके सड़ने का खतरा बन गया है.
अफीम किसानों को उम्मीद है कि जल्द ही सेंट्रल नारकोटिक्स के अधिकारी उनकी अफीम का सर्वे करने आएंगे. इसी आधार पर इन किसानों के लिए राहत का ऐलान हो सकता है. किसान बाकी फसलों के चौपट होने से भी भारी घाटे में आ गए हैं.
मंदसौर में कई किसान लाइसेंस लेने के बाद अफीम की खेती करते हैं. वैसे तो अफीम की खेती प्रतिबंधित है, लेकिन नारकोटिक्स विभाग से अनुमति के बाद कई जगहों पर इसकी खेती की जाती है. हालांकि विभाग बराबर इस पर नजर बनाए रखता है.(रिपोर्ट/आकाश चौहान)
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