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ये गुलशन टमाटर क्या है जिसे रोहतास की शान कहते हैं, क्या है इसकी खासियत

ये गुलशन टमाटर क्या है जिसे रोहतास की शान कहते हैं, क्या है इसकी खासियत

मौजूदा वक्त में देश के कई जिलों में टमाटर की खेती खूब की जा रही है. एक ऐसा ही जिला बिहार का रोहतास भी है. यहां के किसान टमाटर की एक खास किस्म की खेती करते हैं. इस किस्म का नाम गुलशन टमाटर है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है गुलशन टमाटर जिसे रोहतास की शान कहते हैं.

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गुलशन टमाटर गुलशन टमाटर

सब्जियों का सरताज अगर आलू है तो टमाटर भी उससे कम नहीं है. पूरी दुनिया में घरों से लेकर फूड इंडस्ट्री तक सबसे ज्यादा उपयोग टमाटर का सब्जी के तौर पर किया जाता है. इसके अलावा, टमाटर का उपयोग ज्यादातर चटनी और सलाद के लिए किया जाता है. यही वजह है मौजूदा वक्त में देश के कई जिलों में टमाटर की खेती खूब की जा रही है. एक ऐसा ही जिला बिहार का रोहतास भी है. यहां के किसान टमाटर की एक खास किस्म की खेती करते हैं. इस किस्म का नाम गुलशन टमाटर है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है गुलशन टमाटर जिसे रोहतास की शान कहते हैं साथ ही इसकी खासियत क्या है.

क्या है गुलशन टमाटर जानिए

बिहार के रोहतास जिले में उगाई जाने वाली टमाटर की गुलशन किस्म इस जिले की शान है. इस टमाटर की बढ़ती हुई डिमांड और क्वालिटी को देखते हुए बिहार कृषि विभाग इस टमाटर को जीआई टैग दिलवाने के जद्दोजहद में लगा हुआ है. यही वजह है कि इसे रोहतास जिले का शान माना जाता है. अब बात करें इसकी खासियत की तो गुलशन टमाटर किस्म का छिलका मोटा होता है और इसका इस्तेमाल सब्जी और विशेष तौर पर सलाद के रूप में किया जाता है. ये किस्म लंबे समय तक खराब नहीं होती है. साथ ही दूर दराज के राज्यों में इसे ले जाना भी आसान है.

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इन शहरों में है टमाटर की मांग

अब रोहतास जिले में उपजाए गए गुलशन टमाटर को दिल्ली, चंडीगढ़, कोलकाता, भोपाल, लुधियाना, अमृतसर, आगरा और मेरठ समेत कई नगरों में भेजा जा रहा है. इसके अलावा जिले के किसान इस टमाटर को ऑनलाइन भी बेच रहे हैं. ऐसे में टमाटर की खेती से हर किसानों को साल में अच्छा मुनाफा हो रहा है.

इस विधि से की जाती है खेती

गुलशन टमाटर किस्म को अधिक कार्बनिक पदार्थ वाली बलुई दोमट मिट्टी में आसानी से उगाई जा सकती है. साथ ही अम्लीय मिट्टी जिसका पीएच मान 6-7 हो वह भी इस किस्म के टमाटर उत्पादन के लिए अच्छा माना जाता है. इसके पौधे को तैयार करने के लिए 60 से 90 सेंटीमीटर चौड़ा और 16 सेंटीमीटर ऊंची क्यारियां बनानी चाहिए. भरपूर मात्रा में सड़े हुए गोबर की खाद मिलाकर 5 सेंटीमीटर की दूरी पर बीजों की बुवाई करनी चाहिए. जब पौधे 28 दिन के हो जाएं तो इसकी रोपाई कर देनी चाहिए.