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Fruit drop: असमय फलों के गिरने और झड़ने की समस्या के कारण और बचाव के उपाय जानें

Fruit drop: असमय फलों के गिरने और झड़ने की समस्या के कारण और बचाव के उपाय जानें

आगामी सीजन में मिलने वाले आम, बेल, जामुन, और नीबू में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है. इसे हल्के में लेने वाले किसानों को इस बात का पता भी नहीं चलता कि इससे उनकी उपज में कितनी गिरावट हुई है. दरअसल, फल के गिरने और फटने की समस्या से 25 प्रतिशत से लेकर 85 प्रतिशत तक फल नष्ट हो सकते हैं.

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असमय फल की गिरने की समस्या असमय फल की गिरने की समस्या

खेती के बाद बागवानी किसानों की आय का एक बड़ा ज़रिया है. देश में बागवानी का क्षेत्रफल बढ़ रहा है लेकिन साथ ही फल उत्पादकों के सामने कई समस्याएं भी हैं. देश में फल उत्पादक किसानों के सामने असमय फलों के गिरने और फटने की समस्या आम होती जा रही है. ख़ासकर अभी आने वाले सीजन में मिलने वाले फल आम, बेल, जामुन और नीबू में ये समस्या ज्यादा देखने को मिलती है. इसे हल्के में लेने वाले किसानों को इस बात का पता भी नहीं चलता कि इस कारण उनकी उपज में कितनी गिरावट हुई है. दरअसल फल के गिरने और फटने की समस्या से 25 प्रतिशत से लेकर 85 प्रतिशत तक फल नष्ट हो सकते हैं.

फल गिरने, फटने की समस्या का कारण 

फल बागवानी में फलों के फटने या गिरने की समस्या के कई कारण हैं. प्राकृतिक कारणों में तापमान ज्यादा, नमी और बारिश कम होना और साथ ही गर्मी में लू या गर्म हवा मुख्य कारण हैं. जबकि कुछ अन्य प्रजातियों में भी ये समस्या आती है. बगान का सही प्रबंधन ना किया तो भी दिक्कत हो सकती है. इसमें सिंचाई का संतुलित और लगातार प्रबंध ना कर पाना. भी शामिल है. जैसे अगर लगातार कई दिनों तक पानी ना मिलने बाद पौधों को खूब पानी मिलना या एकाएक ज्यादा बारिश होने कारण इस तरह की समस्या आती है. वातावरण में ज्यादा तापमान गर्म हवाएं चलने के कारण फलो के छिलका सुख जाते हैं और फट जाते हैं. इसके अलावा फलों के बाग में प्रबंधन की कमी के कारण और संतुलित पोषक तत्वों की कमी के कारण फलों के फटने और गिरने की समस्या आती है.

समस्या से कैसे मिले निजात? 

इसके लिए आपको तकनीकी तरीक़े से काम करना होगा. बगानों की सुरक्षा, पौधों की सुरक्षा और फलों को भी सुरक्षा देकर आप अलग-अलग स्तर पर फल फटने और गिरने की इस समस्या से निजात पा सकते हैं. सबसे पहले बगानों की सुरक्षा पर बात करें तो आप बगान के चारों तरफ बड़े झुरमुट वाले पेड़ लगा कर गर्म और शुष्क हवाओं से फलों और पेड़ों की रक्षा कर सकते हैं.

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पौधों की सुरक्षा का करें उपाय

इसके अलावा आप पौधों की देखभाल करके भी फल फटने या गिरने की समस्या दूर कर सकते हैं. इसमें लगातार संतुलित सिंचाई और मल्चिंग तकनीक अपनाना अहम है. आप पॉलीथीन की मल्चिंग ना कर पाएं तो पुआल या फिर घास फूस का भी सहारा ले सकते हैं. इसके अलावा पोषक तत्वों का सही प्रबंधन भी आपको इस दिक्कत से बचा सकता है. इन सबके अलावा फलों को कवर करना भी एक अहम उपाय है जिससे फलों को फटने से रोका जा सकता है. बाग में जब फल बनना शुरू हो तो आप कई रसायनों का प्रयोग कर उनके फटने या गिरने की समस्या को दूर कर सकते हैं.

आम और जामुन फलों का गिरना कैसे रोकें?

आम में फलों का गिरना तब होता है जब फल विकास की अवस्था में होते हैं. पौधें में नमी, आम के फल में पोषक तत्वों की कमी, हार्मोनल असंतुलन के चलते आम के फल गिरने लगते हैं. इस समस्या से निजात पाने के लिए आम के फल जब  प्रारंभिक अवस्था यानी मूंगफली के दाने के बराबर हों तो उस अवस्था पर 2, 4 डी की दो ग्राम मात्रा 100 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें. या नेफ़थलीन एसिटिक एसिड10 पीपीएम का छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर दो बार करके फल गिरने की समस्या को रोका जा सकता है. इस तरह अगर जामुन के फूल और फल गिर रहे हैं तो फलों को गिरने से बचाने के लिए जिबरेलिक एसिड 30 पीपीएम का पहला छिड़काव करें जब जामुन के पूरी तरह फूल आ जाएं. दूसरा छिड़काव 15 दिन बाद करना चाहिए. इस तरह फूल और फल गिरना रोका जा सकता है.

बेल फल गिरने की समस्या  

बेल के फल जब छोटे होते हैं तो गिरने की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है. बेल गिरने की समस्या फ्रुजेरियम नामक कवक के कारण होता है. इस रोग में फल के उपरी भाग पर एक छोटा भूरा घेरा बन जाता है जिससे फफूंद के कारण डंठल और फल बीच जुड़ाव कमजोर हो जाता है. इससे फल टूटकर गिर जाते हैं. इस समस्या को रोकने के लिए बाविस्टिन: 0.1 प्रतिशत का दो स्प्रे 15 दिन के अंतराल पर करना चाहिए.

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नींबू के फलों को गिरने से कैसे बचाएं?

नींबू के फूल और फल गिरने की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है. नीबू में पोषक तत्वों की कमी, फल वृद्धि के दौरान मिट्टी में नमी की कमी, अचानक उच्च तापमान ऑक्सिन हार्मोन के असंतुलन के कारण होता है. इसे रोकने के लिए लिए नींबू के बाग में  मिट्टी और पत्ती परीक्षण के आधार पर पोषक तत्वों का उपयोग करना चाहिए. हर समय उचित नमी बनाए रखें, जिंक सल्फेट 4 ग्राम प्रति लीटर पानी या 3 ग्राम कॉपर आक्सीक्लोराइड प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फूल आने और  फल लगने के दौरान 15-15 दिन के अंतराल पत्तियों पर छिड़काव करें.