जहां एक तरफ ठंड और कोहरे की वजह से गेहूं उत्पादकों को कुछ राहत मिलती नजर आ रही है, वहीं दूसरी हरियाणा के रोहतक जिले के किसान इससे खुश नहीं दिखाई दे रहे हैं. दरअसल रोहतक के कई गांव में अब तक बारिश का पानी खेतों से नहीं निकाला गया है. खेतों में जलनिकासी ना होने के कारण पानी भरने और यूरिया की कमी की समस्या सामने आई है. जिस वजह से गेहूं की बुवाई प्रभावित हो रही है. स्थानीय किसानों का कहना है कि पर्याप्त संसाधनों की कमी के कारण आज यह समस्या सामने खड़ी है. जिले के कई गांवों में खेतों में लगे बारिश के पानी को अब तक बाहर नहीं निकाला गया है. नतीजतन किसान गेहूं कि बुवाई समय पर करने में असफल रहे हैं.
गेहूं फसल की बुआई में लगातार देरी हो रही है. इतना ही नहीं यूरिया की कमी भी किसानों के लिए चिंता का सबब बनती जा रही है. यूरिया खरीदने के लिए किसान लगातार दुकानों के चक्कर लगा रहे हैं. अंग्रेजी अखबार द ट्रिब्यून के हवाले से मिली खबर के मुताबिक रिटोली, काबुलपुर, बलंद, सुंदाना, मसूदपुर और ककराना गांवों में 400 एकड़ से अधिक कृषि क्षेत्र में अभी भी पानी भरा हुआ है. ऐसे में इस मौसम में यहां गेहूं की बुवाई नहीं की जा सकती है.
यहां के किसानों का कहना है कि उन्हें यूरिया के जगह पर तरल नैनो-यूरिया दिया जा रहा है. अधिकांश किसान नैनो-यूरिया का उपयोग करने से हिचक रहे हैं क्योंकि यह अधिक महंगा और कम प्रभावी साबित होता है. इस पूरी घटना पर इफको रोहतक के क्षेत्रीय अधिकारी कुलदीप सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि जिले में यूरिया की कमी न हो इसके लिए पर्याप्त मात्रा में यूरिया की व्यवस्था की जा रही है. पिछले सोमवार को रोहतक जिले के लिए 70,992 बोरी यूरिया के रैक की व्यवस्था की गई थी और जल्द ही एक और रैक गांव में जल्द पहुंच जाएगा.
किसानों को अपनी उपज बढ़ाने के लिए तरल नैनो-यूरिया का उपयोग करने की सलाह इफको अधिकारी ने दी है. सिंह ने कहा कि कृषि विभाग और इफको ने किसानों को इसके लाभों और लाभों के बारे में शिक्षित करने और इसके उपयोग के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रचार-सह-जागरूकता अभियान भी चलाया था.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today