पूर्वी भारत में किसान बड़े स्तर पर सब्जी सोयाबीन की खेती कर रहे हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है. ऐसे भी सब्जी सोयाबीन की मार्केट में डिमांड धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है. इसका नियमित सेवन करने पर मधुमेह जैसी बीमारी में फायदा होता है. खास बात यह है कि सब्जी सोयाबीन के दाने को गर्म पानी में उबालने पर मासमती चावल की तरह सुगंध आती है. बुवाई करने के 60 दिन बाद ही सब्जी सोयाबीन की फसल तैयार हो जाती है.
अभी झारखंड में सब्जी सोयाबीन की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है. सब्जी वाली सोयाबीन दाल वाली सोयाबीन से अलग है. सब्जी सोयाबीन के कच्चे हरे दाने दाल-तिलहन वाली सोयाबीन के दानों से बड़े आकार के होते हैं. साथ ही ये खाने में अधिक मिट्ठे भी लगते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि सब्जी सोयाबीन खाने के बाद आसानी से पच जाता है. इसका सेवन करने से मधुमेह रोगियों को काफी फायदा होता है. इसमें उपलब्ध आइसोफ्लेवोन तत्व कैंसर, हड्डी क्षय एवं हृदय रोग से प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने में मदद करता है. सब्जी सोयाबीन में प्रोटीन भी प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. ऐसे में अगर आप इसका नियमित सेवन करते हैं, तो आपका शरीर स्वस्थ्य रहेगा.
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अगर आप सब्जी सोयाबीन की खेती करना चाहते हैं, सबसे पहले आपको खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी होगी. इसके बाद पाटा चलाकर खेत को समतल करना होगा. साथ ही जल निकासी की भी अच्छी तरह से व्यवस्था करनी होगी. नहीं तो फसल को नुकसान पहुंच सकता है. ऐसे सब्जी सोयाबीन की खेती के लिए 26-30 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा माना गया है. जबकि, उच्च हाई ह्यूमिडिटी सब्जी सोयाबीन पौधों की तेजी से विकास करने में मदद करती है. इसकी खेती के लिए खरीफ का मौसम सबसे अच्छा माना गया है.
इसकी बुवाई करने का सही समय 15 जून से 15 जुलाई होता है. बुवाई करने से पहले खेत को 3 से 4 बार जुताई करनी चाहिए, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए. वहीं, बुवाई से एक महीने पहले आप अम्लीय मिट्टी में 2.5 क्विंटल/हैक्टर की दर से चूना डाल सकते हैं. अगर खेत की मिट्टी अम्लीय नहीं है, तो फिर किसान खाद के रूप में गोबर और यूरिया का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. 15 सेंमी. ऊंची एवं 60 सेंमी. चौड़ी क्यारियों पर इसकी बुआई करना बेहतर होता है. अगर आप क्यारियों पर पॉलीथिन मल्च का प्रयोग करते हैं, तो बंपर उपज मिलेगी.
स्वर्ण वसुन्ध्राः इस किस्म को आईसीएआर-आरसीईआर अनुसंधन केंद्र, रांची ने विकसित किया है. यह मुख्यतः 2-3 बीज वाली फलियां पैदा करती है. इसमें 50 फीसदी फूल आने में 40-45 दिन लगते हैं. हरी फलियां बुवाई के 75-80 दिनों में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं. हरी फली की उपज 12-15 टन/हैक्टर होती है.
एचएवीएसबी-24: यह एक सुगंधित फलियों वाली किस्म है. इसकी हरी फलियों से निकले बीजों को गर्म पानी में पकाने के दौरान बासमती धन की तरह सुगंध निकलती है. यह कम अवधि वाली किस्म है और बुवाई के 60-65 दिनों में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसकी हरी फलियों की उपज क्षमता 13-15 टन/हैक्टर है.
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