महाराष्ट्र के हिंगोली ज़िले के कलमनौरी तहसील अंतर्गत वडगांव गांव में आज दोपहर एक भीषण हादसा हुआ. गांव के तीन किसानों- भास्करराव मगर और उनके चचेरे भाई यशवंतराव मगर व अरविंद मगर के खेत में अचानक आग लग गई. खेत में तैयार खड़ी गन्ने की फसल कुछ ही देर में जलकर पूरी तरह खाक हो गई. इस हादसे में करीब 8 एकड़ की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है. यह आग इतनी तेजी से फैली कि गांव के लोग मिलकर भी उस पर काबू नहीं पा सके.
इन तीनों किसानों ने कई महीनों की कड़ी मेहनत और लाखों रुपये की लागत से यह गन्ने की फसल तैयार की थी. प्रति एकड़ लगभग ₹70,000 से ₹80,000 तक का खर्च आया था. किसानों की योजना थी कि दिवाली के ठीक बाद वह फसल काटकर पास की शुगर फैक्ट्री को बेचेंगे, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी मिल सके. इसी आमदनी से वे अपने घर के खर्च, बच्चों की पढ़ाई और त्योहारों की तैयारी कर रहे थे. लेकिन एक ही पल में सब कुछ जलकर राख हो गया.
किसानों के अनुसार इस आग का कारण खेत के पास बिजली के तारों में हुआ शॉर्ट सर्किट है. उनका कहना है कि उन्होंने पहले भी कई बार बिजली विभाग को पुराने और ढीले तारों की शिकायत दी थी, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई. अब जब हादसा हो गया है, तो बिजली विभाग से कोई जवाबदेही नहीं ली जा रही है. किसानों ने साफ तौर पर कहा है कि इस नुकसान के लिए बिजली विभाग की लापरवाही जिम्मेदार है.
घटना की सूचना मिलते ही गांव के अन्य किसान और ग्रामीण आग बुझाने के लिए दौड़े. उन्होंने पानी और अन्य साधनों से आग पर काबू पाने की पूरी कोशिश की, लेकिन आग की लपटें इतनी तेज थीं कि फसल को बचाना संभव नहीं हो सका. प्रशासन की ओर से भी समय पर कोई सहायता नहीं पहुंची, जिससे किसानों का गुस्सा और दुख और बढ़ गया.
दिवाली का त्योहार हर किसान के लिए विशेष होता है. यह वह समय होता है जब वह सालभर की मेहनत का फल काटता है और अपने परिवार के साथ खुशियां मनाता है. लेकिन इस बार वडगांव के इन किसानों के लिए यह त्योहार मातम में बदल गया. फसल के भरोसे पूरे साल की योजनाएं बनी थीं- बच्चों की पढ़ाई, घर की मरम्मत, कर्ज चुकाना, त्योहार मनाना- लेकिन अब सभी सपने अधूरे रह गए हैं.
किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द नुकसान का पंचनामा किया जाए और उन्हें उचित आर्थिक मुआवज़ा दिया जाए. साथ ही बिजली विभाग के खिलाफ कार्रवाई हो ताकि भविष्य में फिर ऐसा कोई हादसा न हो. किसानों का कहना है कि अगर समय पर सहायता नहीं मिली, तो उनके लिए आगे की खेती करना भी मुश्किल हो जाएगा.
वडगांव की यह घटना केवल एक गांव की नहीं, बल्कि उन हजारों किसानों की कहानी है जो हर साल प्राकृतिक या तकनीकी कारणों से नुकसान झेलते हैं. यह जरूरी है कि शासन और प्रशासन समय पर सहायता पहुंचाए और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं. किसान देश की रीढ़ हैं, उनकी मेहनत की रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है.
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