फूलगोभी भारत में एक प्रमुख सब्जी फसल है, जिसकी खेती किसान अगेती और पछेती, दोनों मौसमों में करते हैं. उचित देखभाल और उचित तकनीक से किसान अच्छी पैदावार और मुनाफा कमा सकते हैं. अगर आप ऐसी सब्जी उगाना चाहते हैं जो कम लागत में ज़्यादा मुनाफ़ा दे, तो फूलगोभी एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है. बाज़ार में इसकी माँग साल भर बनी रहती है, और सही तकनीक अपनाकर आप बेहतरीन पैदावार ले सकते हैं. चाहे अगेती हो या पछेती, फूलगोभी की खेती किसानों को हर मौसम में मुनाफ़ा देती है.
फूलगोभी की अगेती फसल के लिए बलुई दोमट मिट्टी और पछेती फसल के लिए दोमट या चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. ध्यान रखें कि खेत में अच्छा जल निकास होना चाहिए, जिससे पानी जमा न हो.
खेत को अच्छे से जुताई और पाटा चलाकर समतल कर लें. गोबर की खाद मिलाने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और फसल अच्छी होती है.
पछेती फूलगोभी के लिए निम्नलिखित किस्में अच्छी होती हैं:
ब्रोकली की किस्में: पूसा के.टी.एस.-1, पालम समृद्धि, बेलस्टार, केलाब्रेसी. इन किस्मों के बीजों की बुआई पौधशाला में करें. पूसा स्नोबॉल-2 की रोपाई 15 अक्टूबर के बाद की जा सकती है.
पछेती फसल में अगेती की तुलना में अधिक खाद और उर्वरकों की जरूरत होती है. अच्छी फसल के लिए प्रति हेक्टेयर निम्न मात्रा में खाद डालें:
गोबर की खाद को रोपाई से पहले खेत में डालें और मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें.
फूलगोभी के पौधों की देखभाल में उथली गुड़ाई बहुत जरूरी होती है. इससे खरपतवार नष्ट होते हैं और पौधों की जड़ें सुरक्षित रहती हैं. ध्यान दें कि गहरी गुड़ाई न करें, इससे जड़ें कट सकती हैं. पहली गुड़ाई तब करें जब पौधे मिट्टी में अच्छी तरह जम जाएं. 6 हफ्ते बाद, पौधों पर मिट्टी चढ़ा दें, जिससे वे मजबूत बनें और अच्छी बढ़त करें.
अगर आप फूलगोभी की खेती वैज्ञानिक तरीके से करें, सही किस्मों का चयन करें और उचित मात्रा में खाद-उर्वरकों का उपयोग करें, तो आप एक अच्छी और लाभकारी फसल प्राप्त कर सकते हैं. सही समय पर गुड़ाई और पौधों की देखभाल से पैदावार में काफी बढ़ोतरी होती है.
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