Wheat Farming: देर से बोई जाने वालीं गेहूं की ये 6 पछेती किस्‍में, किसानों को देती हैं बंपर मुनाफा 

Wheat Farming: देर से बोई जाने वालीं गेहूं की ये 6 पछेती किस्‍में, किसानों को देती हैं बंपर मुनाफा 

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यदि किसान पछेती किस्मों की बुआई कर रहे हैं तो उन्हें उच्च तापमान सहनशील किस्मों का चयन करना चाहिए. इन किस्मों को सही समय पर खाद और पानी देने से उपज में सुधार होता है. विशेष तौर पर ये किस्में सिर्फ तीन सिंचाई में पूरी तरह तैयार हो जाती हैं.

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Wheat Farming: देर से बोई जाने वालीं गेहूं की ये 6 पछेती किस्‍में, किसानों को देती हैं बंपर मुनाफा  गेहूं की बुआई अक्‍टूबर से शुरू होती है

गेहूं रबी सीजन की प्रमुख फसल है और देश की खाद्य सुरक्षा के लिए इसकी अहमियत बहुत ज्यादा है.आमतौर पर गेहूं की बुआई अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से लेकर नवंबर के तीसरे सप्ताह तक की जाती है. लेकिन कई बार किसान बुआ  में देरी कर देते है. ऐसी स्थिति में कम अवधि में पकने वाली किस्मों का चयन सबसे फायदेमंद साबित होता है. कम अवधि वाली किस्में जल्दी तैयार होती हैं और कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती हैं. इनकी विशेषता यही है कि ये सीमित समय में भी खेतों में हरी-भरी फसल तैयार कर देती हैं. किसान अक्सर धान की कटाई में देरी होने के कारण गेहूं की बुवाई समय पर नहीं कर पाते.  ऐसे में पछेती या कम अवधि वाली किस्में उपयुक्त विकल्प होती हैं. 

किसानों के लिए फायदेमंद हैं ये किस्‍में 

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यदि किसान पछेती किस्मों की बुआई कर रहे हैं तो उन्हें उच्च तापमान सहनशील किस्मों का चयन करना चाहिए. इन किस्मों को सही समय पर खाद और पानी देने से उपज में सुधार होता है. विशेष तौर पर ये किस्में सिर्फ तीन सिंचाई में पूरी तरह तैयार हो जाती हैं, जिससे पानी और मेहनत दोनों की बचत होती है. इस तरह, देर से बुवाई होने की स्थिति में सही किस्म का चयन और समय पर सिंचाई तथा पोषण सुनिश्चित करना किसान के लिए लाभकारी साबित हो सकता है। इससे न केवल फसल जल्दी तैयार होती है बल्कि पैदावार भी संतोषजनक रहती है. आइए आपको बताते हैं कि पछेती किस्में कौन सी हैं और उनके किसान को कितना उत्‍पादन होगा- 

PBW 373-यह किस्‍म 110 से 115 दिन में तैयार हो जाती है और करीब 35 से 40 क्विंटल तक पैदावार देती है. 
HD 2985- इसे पकने में करीब 105 से 110 दिन का समय लगता है और इससे 40-42 क्विंटल तक पैदावार होती है. 
DBW 14- यह किस्‍म पकने में 110 से 115 दिन का समय लेती है और करीब 30 से 35 क्विंटल तक उपज देती है. 
NW 1014- गेहूं की इस किस्‍म को तैयार होने में 110 से 115 दिन का समय लगता है और इससे 35 से 40 क्विंटल तक की फसल तैयार होती है. 
HD 2643- इस किस्‍म को तैयार होने में 105 से 110 दिन लगते हैं तो वहीं पैदावार का आंकड़ा करीब 35 से 40 क्विंटल तक है. 
HP 1633- इस किस्‍म को पकने में 105 से 110 दिन का समय लगता है. किसान को इस किस्‍म से 35 से 40 क्विंटल तक की उपज हासिल होगी. 

इस तरीके से करें बुआई 

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं के बंपर उत्पादन के लिए सही किस्मों का चयन और जीरो टिलेज विधि से बुआई अत्यंत महत्वपूर्ण है. इससे कम लागत में अधिक आय प्राप्त होती है, साथ ही मिट्टी की सेहत और पर्यावरण का संतुलन भी बना रहता है. 

पहली सिंचाई: बुवाई के 20-25 दिनों बाद, जब सहायक जड़ें बन रही होती हैं. 
दूसरी सिंचाई: 40-45 दिनों पर, जब गेहूं में कल्ले निकलने लगते हैं.
तीसरी सिंचाई: 40-65 दिनों पर, जब पौधे बढ़ रहे होते हैं. 
चौथी सिंचाई: 85-90 दिनों पर, जब गेहूं में फूल आने लगते हैं. 
पांचवीं सिंचाई: 100-105 दिनों पर, जब गेहूं के दाने दूधिया स्थिति में होते हैं. 

इस तरह से सिंचाई के नियमों का पालन करने से गेहूं की फसल को सही जल आपूर्ति मिलती है, जिससे उपज में इजाफा होता है. 
 

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