किशमिश निर्यात पर बारिश का असरमहाराष्ट्र के किशमिश उद्योग के लिए ये साल यानी 2025 काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है. राज्य में इस बार हुई बेमौसम बारिश ने अंगूर की खेती को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है, जिसका सीधा असर अब किशमिश निर्यात के आंकड़ों में दिखाई दे रहा है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अप्रैल से नवंबर 2025 के बीच महाराष्ट्र से महज 6,309 टन किशमिश का ही निर्यात हो सका है. जो मौसम संबंधी फसल क्षति के गंभीर प्रभाव असर है.
अंगूर और किशमिश उत्पादन के मुख्य केंद्र माने जाने वाले नासिक और सांगली जिलों में बेमौसम बारिश का कहर सबसे ज्यादा देखने को मिला. स्थानीय किसानों और प्रसंस्करण इकाइयों के अनुसार, मॉनसून के दौरान हुई भारी बारिश और उसके बाद सितंबर-अक्टूबर में हुई जोरदार फुहारों ने फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. दरअसल, सितंबर और अक्टूबर का समय अंगूर के पकने और उन्हें सुखाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इसी दौरान हुई बारिश ने न केवल कटाई में देरी की, बल्कि फलों की क्वालिटी को भी प्रभावित किया है. जिसकी वजह से निर्यात कम हुआ है.
कम उत्पादन और क्वालिटी में गिरावट के बावजूद महाराष्ट्र ने दुनिया के कई प्रमुख देशों को किशमिश का निर्यात जारी रखा है. इनमें मोरक्को, रोमानिया, रूस, सऊदी अरब, वियतनाम, इंडोनेशिया और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं. हालांकि, निर्यातकों का कहना है कि मौसम की अनिश्चितता के कारण 'एक्सपोर्ट ग्रेड' यानी उच्च क्वालिटी वाली किशमिश की उपलब्धता काफी कम हो गई है. इसका नतीजा यह है कि कई प्रसंस्करण इकाइयों को अपनी क्षमता से काफी कम पर काम करना पड़ रहा है.
उद्योग जगत का मानना है कि अंगूर की बेलों को हुए नुकसान के कारण इस सीजन में बाजार में अंगूर की कमी रहने की आशंका है. इसका असर ताजा अंगूरों की बिक्री और किशमिश प्रसंस्करण, दोनों पर पड़ेगा. एक निर्यातक के अनुसार, फसल का नुकसान इतना अधिक है कि इसका असर पूरी वैल्यू चेन में दिखाई देगा. हालांकि, किसानों और व्यापारियों को घरेलू बाजार से कुछ उम्मीदें हैं. उनका मानना है कि आपूर्ति कम होने और मांग स्थिर रहने की वजह से आने वाले महीनों में ताजा अंगूरों और किशमिश की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है.
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