त्रिपुरा में किसानों की फसलों पर अटैक, सीएम बोले—किसानों पर हमला, राज्य की रीढ़ पर हमला

त्रिपुरा में किसानों की फसलों पर अटैक, सीएम बोले—किसानों पर हमला, राज्य की रीढ़ पर हमला

बॉक्सानगर की अर्पिता दास की खीरे की फसल को अराजक तत्वों ने रातोंरात तबाह कर दिया, लाखों का नुकसान. राज्यभर में किसानों की फसलों पर हमलों से दहशत, सीएम ने जताया दुख, कड़ी कार्रवाई के निर्देश.

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त्रिपुरा में किसानों की फसलों पर अटैक, सीएम बोले—किसानों पर हमला, राज्य की रीढ़ पर हमलाफसल पर हमले से त्रिपुरा के किसान परेशान (सांकेतिक तस्वीर)

त्रिपुरा में किसानों की फसलों पर लगातार हो रहे हमलों ने ग्रामीण इलाकों में भय और आक्रोश का माहौल बना दिया है. ताजा घटना बॉक्सानगर के बागबेर गांव की है, जहां अराजक तत्वों ने किसान अर्पिता दास की पूरी खीरे की फसल को रातों-रात काटकर बर्बाद कर दिया.

अर्पिता, जो अपनी खेती पर ही परिवार और बच्चों की शिक्षा का पूरा दारोमदार रखती हैं, जब सुबह अपनी तबाह फसल देखीं तो सदमे में बेहोश हो गईं. अनुमान है कि उनका लाखों रुपये का नुकसान हुआ है.

राज्यभर में फसलों पर हमला—एक पैटर्न

'त्रिपुरा इन्फो.कॉम' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना कोई अकेली नहीं है. इससे पहले जुलाईबाड़ी, चारिलाम, खोवाई और तेलियामुरा से भी इसी तरह की फसल बर्बादी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. स्थानीय लोग और किसान संगठनों का आरोप है कि यह कोई सामान्य अपराध नहीं, बल्कि एक संगठित साजिश है जिसका उद्देश्य किसानों को डराना और राज्य की कृषि उत्पादकता को कमजोर करना है.

मुख्यमंत्री का बयान: “यह राज्य की रीढ़ पर हमला है”

मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने इन घटनाओं पर गहरी चिंता जताते हुए अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर लिखा—“ये घटनाएं बेहद पीड़ादायक हैं. किसान हमारे अन्नदाता हैं और समाज की रीढ़ हैं. दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.”

उन्होंने जिलों के प्रशासन को तत्काल राहत पहुंचाने और दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

विपक्ष का सवाल: सरकार गंभीर नहीं!

सीपीआई (एम) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री प्रबित्र कर ने इन घटनाओं को राज्य की कृषि व्यवस्था पर सीधा हमला बताते हुए हाई-लेवल जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि “यह सिर्फ एक किसान पर हमला नहीं है, बल्कि पूरे राज्य की खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर खतरा है.”

किसानों की व्यथा: शिकायतें दर्ज, कार्रवाई शून्य

कमालपुर उपमंडल के डारिंग गांव के किसान समीर दास का कहना है कि “हमने कई बार शिकायत दी है, लेकिन आज तक किसी को सजा नहीं मिली. अगर सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो किसान पूरी तरह सिस्टम से भरोसा खो देंगे.”

विशेषज्ञों की राय: सख्त नीति की जरूरत

  • कृषि विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों ने सरकार से अपील की है कि: 
  • तुरंत मुआवज़ा दिया जाए.
  • फास्ट-ट्रैक अदालतों में केस चलें.
  • फसल सुरक्षा पर जन-जागरुकता अभियान चलें.
  • फसल और जलस्रोत बर्बादी को लेकर 10 साल तक की सजा वाला कड़ा कानून लागू किया जाए. 

जांच जारी रहने के साथ, त्रिपुरा का किसान समुदाय अपने खेतों की सुरक्षा और अधिकारियों से जवाबदेही की मांग करते हुए परेशान है. फसल नुकसान की हालिया घटना ने न केवल ग्रामीण लोगों की रोजी रोटी को अस्त व्यस्त करके रख दिया है, बल्कि पुलिस प्रशासन, खाद्य सुरक्षा और राज्य के कृषि भविष्य की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं.

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