
पंजाब के वो किसान जो मिर्च की खेती में सुकून देखते थे, अब इससे मुंह मोड़ने लगे हैं. पंजाब का फिरोजपुर जिला मिर्च की खेती का पारंपरिक केंद्र रहा है. यहां के सैकड़ों किसानों ने, जिनमें से कई ने करीब 15,000 से 16,000 एकड़ जमीन पर मिर्च की खेती शुरू की थी, इस साल अपनी बुवाई में भारी कमी कर दी है. सालों तक यहां के किसानों की सफलता काफी हद तक बिना सरकारी मदद के, खेती में भरपूर उपज हासिल की. लेकिन अब कीमतों में भारी गिरावट के कारण, ये किसान खुद को अकेला पा रहे हैं और इसी वजह से किसानों ने इसकी खेती से मुंह मोड़ लिया है.
फिरोजपुर के एक किसान मनप्रीत ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि दशकों से मिर्च उगाने वाले किसान अक्सर अपनी पहल पर अपनी जमीन पर मिर्च की खेती कर रहे हैं. बड़े किसान भी पंजाब के छोटे किसानों से मिर्च खरीदते थे और फिर फसल को राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुंटूर जैसे बड़े बाजारों में बेचने के लिए इकट्ठा करते थे, जो मिर्च एक्सपोर्ट के लिए एक मुख्य केंद्र है. चार दशकों से ज्यादा समय से, पंजाब के फिरोजपुर जिले में मनप्रीत सिंह का परिवार अपनी जमीन पर मिर्च की खेती कर रहा है. लेकिन इस साल लूंबरीवाला गांव के इस किसान ने खेती का रकबा 100 एकड़ से घटाकर सिर्फ 60 एकड़ कर दिया है. सपोर्ट सिस्टम की कमी, गिरती कीमतें और एक्सपोर्ट में कमी के चलते मनप्रीत को यह फैसला लेना पड़ा.
कई कारणों से कीमतों में गिरावट आई है, जिसमें एक्सपोर्ट की मात्रा में भारी कमी एक बड़ा कारण है. भारत के लाल मिर्च के एक्सपोर्ट, जिससे कभी अरबों का रेवेन्यू मिलता था, अब मुश्किल दौर से गुजर रहा है।.आंध्र प्रदेश से गुंटूर मिर्च का एक्सपोर्ट न हो पाना इस संकट को और बढ़ा रहा है. वह बताते हैं, 'गुंटूर इलाके में मिर्च की फसलों पर ब्लैक थ्रिप्स के हमले ने किसानों को कीड़ों को कंट्रोल करने के लिए केमिकल इस्तेमाल करने पर मजबूर कर दिया. बदकिस्मती से, इससे केमिकल के सैंपल फेल हो गए, जिसके चलते चीन जैसे बड़े इंपोर्टर देशों के साथ-साथ बांग्लादेश जैसे कई छोटे देशों ने भी इंपोर्ट पर रोक लगा दी.'
इस स्थिति का पंजाब पर भी असर पड़ा. जब गुंटूर मिर्च की कीमतें गिरीं, तो सभी बड़े बाजारों में कीमतों में गिरावट आई, जिससे किसानों को अपनी फसल का सही दाम पाने में मुश्किल हो रही है. ऐसा तब हुआ जब पंजाब की मिर्च में केमिकल का इस्तेमाल तय सीमा के अंदर किया गया था.' कुछ किसानों ने मिर्च बोने से तौबा कर ली है. उनका कहना है कि जब रेट कम हैं और सरकार मार्केटिंग में हमारी मदद नहीं कर रही है तो फिर इसका कोई मतलब नहीं है. किसानों से ‘मिर्च क्लस्टर’ का वादा किया गया था लेकिन वह भी कभी पूरा नहीं हुआ है. वह आगे कहते हैं कि पंजाब एग्रो को फिरोजपुर में एक ऑफिस खोलना चाहिए, जिससे किसानों को, खासकर मार्केटिंग के मामले में फायदा होगा.
विशेषज्ञों के अनुसार पंजाब सीधे मिर्च एक्सपोर्ट नहीं करता लेकिन एक्सपोर्ट का असर पंजाब की मिर्च की कीमतों पर भी पड़ता है. किसानों की बार-बार रिक्वेस्ट के बावजूद, कोई औपचारिक एक्सपोर्ट चैनल या मार्केटिंग क्लस्टर स्थापित नहीं किया गया है. ऐसे में कई किसानों ने मिर्च की खेती घटाकर आधी कर दी है.
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