सरसों की खेतीपूर्वोत्तर भारत के बारिश पर निर्भर किसान अपनी उपज को आसानी से बढ़ा सकते हैं. ICAR- एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन रिसर्च इंस्टीट्यूट, उमियम ने इसे लेकर खास जानकारी दी है. आईसीएआर ने कहा है कि किसान समय पर बुवाई और ज्यादा पैदावार वाली सरसों की किस्मों (TS 38, TS 36, TS 67, NRCHB-101, पूसा 25/26/28) से रबी की पैदावार बढ़ा सकते हैं. जीरो टिलेज, बीज ट्रीटमेंट, FYM, IPM, मधुमक्खी के बक्से और समय पर फसल की कटाई से बेहतर पैदावार पक्की होती है.
पूर्वोत्तर भारत (असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा) में ज्यादा बारिश (2,000-10,000 mm) होती है और यहां के किसान भारी बारिश में भी अच्छी पैदावार लेते हैं. रबी का मौसम रेपसीड-सरसों की उपज को बढ़ाने, इनकम और फूड सिक्योरिटी को बेहतर बनाने का सबसे अच्छा समय है. खरीफ के धान की जल्दी कटाई से किसानों को रबी तिलहन की खेती में मदद मिलती है.
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे ज्यादा पैदावार वाली, सूखा झेलने वाली और बीमारी झेलने वाली किस्मों का इस्तेमाल करें. इसमें जो किस्में शामिल हैं, उनके नाम हैं-
किसानों को यह भी सलाह है कि वे कम समय में उगने वाले धान (RC Maniphou-12, CAU R3) की कटाई जल्दी करें. इसके बाद सरसों/तोरिया की तुरंत बुवाई करें.
किसानों को स्मार्ट बुवाई का समय जरूर जानना चाहिए. साथ ही बेहतर फसल उगाने की विधि सीखनी चाहिए. इससे किसानों को अधिक उपज और इनकम मिलेगी. आईसीएआर ने इसके बारे में बताया है.
इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट
इसके अलावा कुछ आसान उपाय से भी सरसों में उर्वरक प्रबंधन किया जा सकता है. इसमें किसी तरह के स्प्रे या दवा की जरूरत नहीं होगी.
सरसों की पैदावार बढ़ाने के लिए खेत में 4-5 मधुमक्खी के बक्से प्रति हेक्टेयर लगाएं. इससे ज्यादा पॉलिनेशन और पैदावार मिलेगी. बीज की क्वालिटी बनाए रखने के लिए जब फलियां पीली-भूरी हो जाएं, तब कटाई करें.
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