गन्ने की फसल में 'डेड हर्ट' और 'बंची टॉप', जानिए इस दुश्मन से कैसे बचाएं फसल!

गन्ने की फसल में 'डेड हर्ट' और 'बंची टॉप', जानिए इस दुश्मन से कैसे बचाएं फसल!

गन्ना की फसल पर इस वक्त टॉप बोरर कीट यानी चोटी-भेदक कीट का प्रकोप मंडरा रहा है. ये खतरनाक कीट गन्ने के गोफ को खा जाता है और फिर इसमें सड़न पैदा हो जाती है. ऐसे नें इस टॉप बोरर कीट से गन्ने की फसल कैसे बचाना है, इसको लेकर यूपी गन्ना शोध परिषद के निदेशक ने कुछ उपाय बताए हैं.

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गन्ने की फसल में 'डेड हर्ट' और 'बंची टॉप', जानिए इस दुश्मन से कैसे बचाएं फसल!गन्ने में चोटी-भेदक कीट का हमला

उत्तर प्रदेश के गन्ना उत्पादक किसान एक बार फिर मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. पिछले साल की तरह इस साल भी गन्ने की फसल में टॉप बोरर कीट यानी चोटी-भेदक कीट का हमला शुरू हो गया है. पिछले साल इस कीट के व्यापक प्रकोप के कारण गन्ने की पैदावार में भारी गिरावट दर्ज की गई थी, जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ था. यूपी गन्ना शोध परिषद के निदेशक वी.के. शुक्ल ने इस गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि वर्तमान में कुछ चीनी मिल क्षेत्रों में गन्ने की फसल में टॉप बोरर कीट का प्रकोप स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है. 

सूड़ी द्वारा गन्ने के गोफ को खा जाने से उसमें सड़न पैदा हो जाती है और नीचे की कलिकाओं से गैर जरूरी फुटाव होने लगता है. इसके कारण गन्ने का शीर्ष भाग सूख जाता है, जिसे 'डेड हर्ट' कहते हैं, और पौधे में झाड़ीनुमा संरचना विकसित हो जाती है, जिसे 'बंची टॉप' कहा जाता है.

ऐसे दिखता है टॉप बोरर कीट

डॉ शुक्ल ने किसानों को इस कीट की पहचान के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस कीट की मादा कीट चांदी के समान सफेद रंग की होती है और उसके पिछले हिस्से पर नारंगी रंग के रोयेंदार बाल पाए जाते हैं. यह मादा कीट रात में गन्ने की पत्तियों के मध्य शिरा के पास 75 से 250 अंडों के समूह में अंडे देती है, जो एक-दूसरे पर चढ़े हुए भूरे रंग के रोयेंदार पदार्थ से ढके रहते हैं. इस कीट की सूड़ी हल्के पीले रंग की होती है. यह पत्ती की मध्य शिरा से होते हुए गन्ने के अगोले सबसे ऊपरी कोमल पत्तियों तक पहुंच जाती है और बिना खुली हुई पत्तियों को खाती है, जिसके कारण अगोले की पत्तियों पर छोटे-छोटे गोल छेद जैसे निशान दिखाई देते हैं. 

निगरानी नहीं की तो गन्ना होगा बरबाद

यूपी गन्ना शोध परिषद के निदेशक ने गन्ना किसानों को विशेष सलाह दी है कि वे प्रतिदिन सुबह के समय अपने गन्ना के खेतों का बारीकी से निरीक्षण करें. अगर खेत में इस कीट की दूसरी पीढ़ी के अंड समूह या सूड़ियां दिखाई दें तो ऐसी प्रभावित पत्तियों को तुरंत तोड़कर नष्ट कर दें. ऐसा न करने पर सुड़ियां पत्ती की मध्य शिरा से प्रवेश कर गन्ने के गोफ में घुस जाती हैं और गन्ने की सामान्य बढ़वार को बाधित कर देती हैं, जिससे उपज में भारी कमी आ सकती है. अधिक प्रभावित पौधों को खुरपी की सहायता से जड़ सहित काटकर नष्ट कर देना चाहिए.

शुक्ल ने यह भी बताया कि इस कीट की तीसरी पीढ़ी सबसे अधिक नुकसान पहुंचाती है, जो आमतौर पर जून के तीसरे सप्ताह में सक्रिय होती है. इस समय अगर अंड समूहों और सुड़ियों को एकत्र करके नष्ट कर दिया जाए, तो इस कीट की सूड़ी गन्ने के गोफ में प्रवेश नहीं कर पाएगी और अगली पीढ़ी से होने वाले संभावित नुकसान को काफी हद तक टाला जा सकेगा.

कैसे करें राकथाम?

इस कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए डॉ. शुक्ल ने कुछ खास उपायों को अपनाने का सुझाव दिया है-

  • अगर  प्रभावित पौधों में मृतसार (डेड हर्ट) दिखाई दे, तो ऐसे पौधों को जमीन की सतह से सूड़ी या प्यूपा सहित काटकर खेत से बाहर निकालकर नष्ट कर दें. 
  • इस खतरनाक कीट के रासायनिक नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड  1 मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर, उसमें थोड़ा सा शैम्पू मिलाकर पौधों के ऊपरी भाग पर छिड़काव करें. यह उपाय पौधे पर मौजूद अंड समूहों, सूड़ियों और तितलियों को नष्ट करने में सहायक होगा. 
  • अधिक प्रभावित फसल और गोफ के अंदर प्रवेश कर चुकी सूड़ियों को मारने के लिए क्लोरेन्ट्रेनिलिप्रोल 18.5 एस.सी. की 150 मिलीलीटर मात्रा को 400 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से खेत में नमी की स्थिति में गन्ने की लाइनों में जड़ों के पास ड्रेन्चिंग करें. अगर यह रसायन उपलब्ध न हो, तो वर्टागो या फरटेरा का भी उपयोग किया जा सकता है. 
  • जैविक नियंत्रण तरीके से नियंत्रण 
  • जैविक नियंत्रण विधि के अंतर्गत अंड परजीवी ट्राइकोग्रामा जापोनिकम के 20000 वयस्क (4 से 5 ट्राईकोकार्ड) प्रति हेक्टेयर की दर से जून के अंतिम सप्ताह से 15 दिन के अंतराल पर खेतों में लगाएं. यह परजीवी चोटी बेधक (टॉप बोरर) के अंडों को नष्ट कर देता है, जिससे फसल इस कीट के प्रकोप से सुरक्षित रहती है.

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