लोगों को उम्मीद थी कि दिवाली के बाद खाने- पीने की चीजें सस्ती होंगी, लेकिन ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा है. प्याज के बाद अब टमाटर भी महंगा होने लगा है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित कई शहरों में टमाटर 40 से 50 रुपये किलो बिक रहा है. जबकि, 15 दिन पहले यही टमाटर 20 से 30 रुपये किलो बिक रहा था. ऐसे में लोगों को डर सता रहा है कि कहीं, जुलाई- अगस्त महीने की तरह टमाटर फिर से महंगा न हो जाए.
दरअसल, दिवाली के बाद आमतौर पर टमाटर काफी सस्ता हो जाता है. यह 15 से 20 रुपये किलो बिकने लगता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. दिवाली से पहले दिल्ली में जो टमाटर 20 से 30 रुपये किलो बिक रहा था, अब उसका 40 रुपये किलो हो गया है. खास बात यह है कि दिल्ली से भी ज्यादा महंगा टमाटर नागरपुर सहित पूरे विदर्भ क्षेत्र में हो गया है. यहां पर लोगों को एक किलो टमाटर खरीदने के लिए 50 से 60 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. व्यापारियों का कहना है विदर्भ क्षेत्र में टमाटर की आवक महाराष्ट्र के दूसरे इलाके से होती है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से भी टमाटर मंगाए जाते हैं. लेकिन, बीते कुछ दिनों से सप्लाई में कमी आ गई है. इसके चलते रेट बढ़ गया है.
व्यापारियों की माने तो विदर्भ क्षेत्र में नवंबर महीने में हर साल महाराष्ट्र के कई जिलों से बड़े स्तर पर टमाटर की सप्लाई होती है, इससे रेट कम रहता है. हालांकि, इस साल ऐसा नहीं है. अक्टूबर महीने में हुई भारी बारिश के चलते टमाटर की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. इससे पैदावर पिछले साल के मुकाबले काफी कम हो गई है. ऐसे में मांग के मुकाबले आपूर्ति कम होने की वजह से कीमतें बढ़ गई हैं. आलम यह है कि डिमांड को पूरा करने के लिए व्यापारी आंध्र प्रदेश और कर्टनाक से टमाटर मंगा रहे हैं. इन टमाटरों की कीमत थोक मार्केट में ही 40 से 45 रुपये किलो है. ऐसे में रिटेल मार्केट में आते- आते 50 से 60 रुपये किलो कीमत हो जा रही है.
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इसी तरह छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में टमाटर के भाव में काफी उछाल दर्ज की गई है. यहां रामानुजगंज मंडी में एक किलो टमाटर की कीमत 40 से 50 रुपये हो गई है. ऐसे में लोगों के किचन का बचट बिगड़ गया है. खास बात यह है कि टमाटर के रेट में उछाल आने से कई परिवारों ने टमाटर खरीदना ही छोड़ दिया है. स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि बारशि की वजह से आसपास के क्षेत्र में टमाटर की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. इससे मार्केट में टमाटर की आवक कम हो गई है. आपूर्ति कम होने की वजह से कीमतें बढ़ रही हैं.
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