किसान अपने खेतों में बढ़िया उत्पादन के लिए दिन-रात मेहनत अपनी आय के साथ नाम भी कमाना चाहता है. वहीं सरकार का भी प्रयास है कि किसानों की आय को दोगुना करने के लिए उसे हर संभव सरकारी सहायता उपलब्ध कराई जाय. आज किसानों के लिए एक से बढ़कर एक अनाज और सब्जियों की वैरायटी मौजूद है जिनका उत्पादन काफी अच्छा है. उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के ऐसे ही किसान है जिया उल हक जिन्होंने 2012 में पढ़ाई को छोड़कर खेती को अपनाया. उन्होंने खेती में नई किस्म के साथ-साथ नई-नई विधियों पर भी काम किया और फिर उन्हें सफलता मिलनी शुरू हुई. 2018 में उन्होंने अपने खेत में 22 फीट लंबा गन्ना पैदा कर दिया. इसके बाद उन्होंने लौकी की खेती शुरू की. उन्होंने प्राकृतिक विधि से खेती करके आज 2 मीटर लंबी लौकी पैदा करके वे चर्चाओं में है. लौकी के साथ-साथ वह मड़वा और हल्दी की खेती भी कर रहे हैं. जिया उल हक का नाम आज प्रगतिशील किसान के रूप में दर्ज हो चुका है. गन्ने के क्षेत्र में भी अच्छा काम कर रहे हैं.
बहराइच जनपद के शेखदाहिर गांव के रहने वाले जिया उल हक की किस्मत लौकी की इस किस्म ने बदल दी है. उन्होंने लौकी की कई किस्म को गया लेकिन उन्हें नरेंद्र शिवानी किस्म की वजह ज्यादा प्रसिद्ध हुए. लौकी की नरेंद्र माधुरी किस्म की भी खेती करते हैं. उनके खेत में इस समय 2 मीटर लंबी लौकी मौजूद है. जिया उल हक ने किसान तक से बात करते हुए बताया कि उन्हें लौकी की नरेंद्र शिवानी किस्म के केवल दो बीज मिले थे जिसके दम पर आज उन्होंने जिले की सबसे लंबी लौकी पैदा कर दी है. उन्हें कृषि विभाग द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि वह सब्जी की खेती प्राकृतिक विधि से करते हैं. लौकी के लिए उन्होंने घन जीवामृत का प्रयोग किया और मात्र 18 दिन में ही इसकी लंबाई 2 मीटर तक पहुंच गई.
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बहराइच जनपद के रहने वाले जिया उल हक को पहचान गन्ने की खेती से मिली. आज वह 40 एकड़ क्षेत्रफल में गन्ने की खेती कर रहे हैं. 2018 में ही उन्होंने 22 फीट लंबा गन्ना पैदा किया जिसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया. इस साल भी उनका गन्ना काफी बड़ा हुआ है लेकिन एक माह पहले आंधी और बारिश की वजह से काफी नुकसान भी उठाना पड़ा है. वैसे तो गन्ने की खेती रासायनिक उर्वरक के माध्यम से करते हैं लेकिन इस बार उन्होंने प्रयोग तार पर एक एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल में प्राकृतिक विधि से गन्ना उगाया है.
बहराइच के किस जिया उल हक का कहना है कि वह लौकी की खेती के साथ-साथ मोटे अनाज के रूप में मड़वा और हल्दी की नरेंद्र-दो किस्म की खेती भी कर रहे हैं. सहफसली खेती करने से उन्हें अतिरिक्त आय भी मिल रही है. सब्जियों की खेती वह पूरी तरीके से प्राकृतिक विधि से करते हैं जिसका उन्हें अच्छा बाजार भाव भी मिलता है.
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