Tomato Price: 200 रुपये प्रति किलो से सिर्फ 2 रुपये पर क्यों आ गया टमाटर का दाम? 

Tomato Price: 200 रुपये प्रति किलो से सिर्फ 2 रुपये पर क्यों आ गया टमाटर का दाम? 

मंडियों पर टमाटर की आवक बढ़ने से  कीमतों में आई भारी गिरावट. किसान इस बात से बहुत दुखी हैं कि अब उनकी उत्पादन लागत भी नहीं निकल पा रही है. जो सरकार 200 रुपये किलो दाम होने पर उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए परेशान थी, वो अब किसानों को मदद देने के वक्त क्यों कुछ नहीं बोल रही. क्या 2 रुपये किलो टमाटर बेचकर डबल होगी किसानों की इनकम?

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Tomato Price: 200 रुपये प्रति किलो से सिर्फ 2 रुपये पर क्यों आ गया टमाटर का दाम? टमाटर की कीमतों में आई गिरावट

देश के प्रमुख टमाटर उत्पादक महाराष्ट्र में इसके दाम में एक बार फिर भारी गिरावट हुई है. पिछले महीने 200 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर अब 2 रुपये किलो रह गया है. राज्य की कई मंडियों में यही हाल है. इससे किसान परेशान हैं क्योंकि अब भाव इतना कम हो गया है कि लागत भी नहीं निकलेगी. दरअसल, अब सभी टमाटर उत्पादक राज्यों से  नई फसल की आवक होने लगी है, जिसकी वजह से दाम में इतनी गिरावट आ गई है. इन दिनों नासिक, पुणे, सतारा, सांगली, लातूर, अहमदनगर और नागपुर आदि से टमाटर आ रहा है. मंडियां टमाटर से भरी हुई हैं और कोई खरीदने वाला नहीं है. 

लातूर सब्जी मंडी में किसानों ने टमाटर 2 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा. यही हाल नासिक की मंडियों में भी है. टमाटर की फसल से अच्छी आमदनी की उम्मीद लगाए बैठे किसान अब बाजार के रुख से निराश हैं. टमाटर ऐसी फसल नहीं है कि किसान उसे 15-20 दिन स्टोर करने दाम बढ़ने का इंतजार कर सकें. इसलिए फसल तैयार है तो बेचना जरूरी है. पिछले 2 महीने से दाम अच्छा मिल रहा था इसलिए किसानों ने जमकर इसकी खेती की है. अब उन्हें इसका नुकसान झेलना पड़ रहा है. 

अब टमाटर का क्या करें किसान?

लातूर जिले में टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. जिले से टमाटर  हैदराबाद और दूसरे शहरों में बिक्री के लिए भेजा जाता है. लातूर के वडवल नागनाथ, चचूर और चपोली आदि इलाकों में टमाटर की बंपर पैदावार हुई है. अब कीमतों में गिरावट से यहां के किसानों को बड़ी आर्थिक मार झेलनी पड़ रही है. किसान जयपाल जाधव के पास वडवल नागनाथ में दो एकड़ टमाटर का खेत है.  फसल पर उन्होंने डेढ़ लाख रुपये खर्च किये हैं. लेकिन, अब 2 रुपये किलो के दाम पर लागत भी निकलना मुश्किल है.  किसान अब घरेलू पशुओं को टमाटर खिला रहे हैं. किसानों के सामने अब यह सवाल है कि जब बाजार में कोई कीमत नहीं है तो बड़ी मात्रा में उत्पादित टमाटर का क्या करें?

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किसानों को राहत देने के लिए कब आगे आएगी सरकार?

किसानों ने काफी पैसा लगाने के बाद टमाटर की फसल ली है, लेकिन मौजूदा कीमत पर मजदूरी मिलना भी मुश्किल है. ऐसे में किसान निराश हैं और बाजार के सिस्टम पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. उनके पास स्टोरेज का इंतजाम नहीं है. किसानों का कहना है कि जो सरकार 200 रुपये किलो दाम होने पर उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए परेशान थी, वो अब किसानों को मदद देने के वक्त क्यों कुछ नहीं बोल रही. क्या 2 रुपये किलो टमाटर बेचकर किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी. क्या नफेड सिर्फ उपभोक्ताओं के लिए काम करेगा. आखिर किसानों को अच्छा भाव दिलाने के लिए वो कब सामने आएगा.

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