टमाटर की कीमतों में एक बार फिर से बढ़ोतरी होने लगी है. एक सप्ताह के अंदर इसकी कीमतों में बहुत अधिक बढ़ोतरी हुई है. खास बात यह है कि होलसेल मार्केट में भी टमाटर महंगा हो गया है. कहा जा रहा है कि मंडियों में टमाटर की आवक कम हो गई है. इससे कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है. वहीं, महाराष्ट्र के नासिक जिले में बेमौसम बारिश के कारण टमाटर की फसल को नुकसान भी पहुंचा है. इससे उत्पादन में गिरावट आई है. इस वजह से भी टमाटर के रेट में बढ़ोतरी हो रही है. नागपुर में टमाटर 100 से 120 रुपये किलोग्राम पहुंच गया है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों का कहना है कि नासिक जिले में बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती होती है. लेकिन इस साल वायरस के हमले के कारण आपूर्ति में कमी आई है, जिससे टमाटर के दाम बढ़ गए हैं. नासिक के कृषि उपज बाजारों में 20 किलो टमाटर का एक क्रेट 1,500 से 1,600 रुपये में बिक रहा है. इसके चलते रिटेल मार्केट में टमाटर महंगा हो गया है. नागपुर में टमाटर का खुदरा रेट 100 से 120 रुपये प्रति किलोग्राम है. महंगाई का आलम यह है कि गोकुलपेठ या कॉटन मार्केट जैसे बाजारों में खराब क्वालिटी के टमाटर भी 70 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहे हैं.
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बाजार के सूत्रों का कहना है कि टमाटर की कीमतों में हर साल इस तरह की बढ़ोतरी होती है. एक महीने या एक पखवाड़े में कीमतें कम हो जाएंगी. हालांकि, यह ऐसे समय में हुआ है जब अन्य राज्यों में भी आपूर्ति कम हो गई है. नासिक के टमाटर उत्पादक किसान शंकर दिखाले कहते हैं कि नासिक के टमाटर उत्पादक इलाकों में करीब दो सप्ताह तक बारिश हुई. इसने फसल को नुकसान पहुंचाया है. करीब एक-चौथाई उपज बच जाने के बाद, एक सप्ताह के भीतर ही कीमतों में दोगुने से भी अधिक की वृद्धि हो गई. दिखाले के अनुसार, पिछले सीजन में कम कीमतें मिलने के कारण इस साल किसानों ने टमाटर की खेती का रकबा कम कर दिया था. वे कहते हैं कि अब, जब फसल खराब हो गई है, तो आपूर्ति और कम हो गई है, जिससे कीमतें बढ़ गई हैं.
टमाटर उत्पादक बताते हैं कि यह किसानों के एक वर्ग के लिए वरदान के रूप में भी आया है. वे कहते हैं कि बहुत कम फसल बची होने के कारण, किसानों को टमाटर तोड़ने के लिए ज्यादा मजदूरी नहीं देनी पड़ती है, और मौजूदा दरें न केवल फसल के नुकसान की भरपाई करने के लिए पर्याप्त हैं, बल्कि उन्हें अच्छा मुनाफा भी देती हैं. टमाटर के सबसे बड़े खरीदारों में से एक, सह्याद्री फार्म्स के अध्यक्ष विलास शिंदे कहते हैं कि इसका मिला-जुला असर है. अगर कुछ किसान लाभ कमा रहे हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं जो फसल को भारी नुकसान के कारण घाटे में हैं. शिंदे कहते हैं कि ताजा फसल आने के बाद दरों में सुधार हो सकता है.
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सूत्रों का कहना है कि नासिक के पश्चिमी हिस्सों से एक महीने में ताजा आपूर्ति की उम्मीद है, लेकिन वहां भी कम पैदावार की खबरें हैं. नासिक के अलावा, नागपुर के थोक व्यापारी आंध्र के मदनपल्ले, कर्नाटक के चिंतामणि, साथ ही मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और अमरावती के कुछ इलाकों से अपनी आपूर्ति प्राप्त करते हैं. कॉटन मार्केट के एक व्यापारी ने कहा कि इन दिनों, हमें केवल अमरावती और छिंदवाड़ा से आपूर्ति मिल रही है. मदनपल्ले के एक व्यापारी श्रीनिवासुलु रेड्डी कहते हैं कि सीजन खत्म होने वाला है, और आपूर्ति इस समय औसतन 2,000 ट्रक प्रति दिन के मुकाबले मुश्किल से 100 ट्रक प्रति दिन रह गई है. यहां भी, बारिश ने उपज को प्रभावित किया है.
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