टमाटर की खेती किसानों के लिए अतिरिक्त आय का एक बेहतरीन जरिया बनती जा रही है. इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. वहीं सब्जी में आलू के बाद टमाटर दूसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल है. टमाटर एक ऐसी फसल है, जिसकी मांग बाज़ार में सालभर रहती है. वहीं कुछ टमाटर की ऐसी भी किस्में हैं जो बीमारियों से आजाद हैं. हम यहां ऐसी ही एक किस्म की बात करेंगे. ये किस्म है जो 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. साथ ही इस किस्म की खेती करके किसान 80 टन तक पैदावार भी ले सकते हैं. आइए जानते हैं कौन सी है यह किस्म.
अर्का रक्षक टमाटर की उच्च उपज वाली एफ 1 संकर किस्म मानी जाती है, जो टमाटर के तीन प्रमुख रोगों, पत्ती मोड़क विषाणु, जीवाणु झुलसा और अगेती धब्बे की प्रतिरोधी है. ये किस्म 140 दिन में तैयार हो जाती है. वहीं इस किस्म की खेती करने पर किसानों को प्रति हेक्टेयर 80 टन उत्पादन मिलता है. इसके फल चौकोर बड़े और गहरे लाल रंग के होते हैं. इसे खरीफ, रबी और गर्मी के मौसम में उगाया जा सकता है.
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अर्का विशेष- इस किस्म के टमाटर का उपयोग प्यूरी, पेस्ट, केचप, सॉस, बनाने के लिए किया जाता है. ये किस्म भी अरका की एक महत्वपूर्ण किस्म है. इस किस्म की खेती से किसान 750 से 800 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन ले सकते हैं. इसके एक फल का वजन 70 से 75 ग्राम का होता है.
अर्का अभिजीत- इस किस्म के पौधे गहरे हरे पत्ते वाले होते हैं. वहीं इसके फल गोल और मध्यम आकार के होते हैं. साथ ही इस किस्म की खासियत ये है कि इसे लगभग 3 सप्ताह तक भंडारित किया जा सकता है. इस किस्म का पौधा जीवाणु विल्ट के प्रति प्रतिरोधी है. यह खरीफ और रबी सीजन के दौरान 140 दिनों में पक कर तैयार हो जाता है.
अर्का अभेद- ये टमाटर की एक हाइब्रिड किस्म है. इसके पौधे गहरे हरे पत्ते वाले होते हैं. इस किस्म का टमाटर 140 से 150 दिनों में पककर तैयार हो जाता है. इसका एक फल 90-100 ग्राम वजन का होता है. टमाटर की इस किस्म की खेती से किसान प्रति हेक्टेयर 70 से 75 टन की उपज ले सकते हैं. इस किस्म की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी है.
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