रबी सीजन की शुरुआत होते ही किसान प्रमुख फसलों की खेती में जुटे हुए हैं. इस सीजन की एक काफी प्रमुख फसल है चना, जिसकी खेती से किसान बंपर मुनाफा कमा सकते हैं. लेकिन खेती के समय कई बार किसान चने की बेहतर किस्मों को लेकर थोड़े असमंजस में रहते हैं कि आखिर कौन से किस्मों की खेती से उन्हें बंपर पैदावार मिले. ऐसे में अगर आप भी इस रबी सीजन चने की खेती करना चाहते हैं और किस्मों को लेकर चिंतित है तो आज हम आपको चने कि 4 खास किस्मों के बारे में बताएंगे, जिसकी खेती से आपको 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन हो सकता है. ये किस्में न केवल बंपर पैदावार देने की क्षमता रखती हैं, बल्कि कई रोगों के प्रति भी प्रतिरोधी होती हैं. आइए जानते हैं उनकी खासियत.
चने की बंगाल ग्राम बीजीडी 111-1 एक देसी किस्म है जिसके जो मात्र 95 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इस किस्म के पौधे की ऊंचाई दो फ़ीट से भी कम होती है. वहीं, इसमें पाला पड़ने की संभावना कम रहती है. इस किस्म की पैदावार प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल तक होती है. साथ ही इस किस्म की खेती बंगाल और कर्नाटक में बड़े पैमाने पर की जाती है.
ये चने की एक खास वैरायटी है. इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है. ये किस्म सूखे और सिंचित दोनों स्थितियों के अनुकूल है. इस किस्म की खेती मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र , गुजरात और बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए बेस्ट है. इस किस्म में उच्च प्रतिरोधक के कारण ऊकटा रोग (विल्ट) रोग नहीं लगता है. इस किस्म की उत्पादन क्षमता अधिकतम 9 से 11 क्विंटल एकड़ तक है. वहीं, ये किस्म 100 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
चने की बंगाल ग्राम जाकी-9218 एक देसी किस्म है जो मात्र 93 से 125 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इस किस्म के पौधे की ऊंचाई दो फ़ीट से भी कम होती है. वहीं, इसमें पाला पड़ने की संभावना कम रहती है. ये किस्म मुरझान, जड़ सड़न और कॉलर रॉट रोग के प्रति प्रतिरोधी होता है. इस की पैदावार प्रति हेक्टेयर 35 से 40 क्विंटल तक होती है. साथ ही इस किस्म की खेती बंगाल और कर्नाटक में बड़े पैमाने पर की जाती है.
ये चने की एक बेहद खास किस्म है. इस किस्म को पूसा (IARI) नई दिल्ली ने हाल ही में जारी की है, जो कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, विदर्भ क्षेत्र के लिए बेस्ट है. चने की यह एक चमत्कारी एडवांस जनरेशन की जिनोमिक्स तकनीक से बनी उन्नत किस्म है. इस किस्म की अवधि 108 से 110 दिन है. वहीं, इस किस्म में विल्ट (उक्टा), जड़ गलन, कालर राट और बोने पन का खतरा नहीं रहता है. इस किस्म की उत्पादन क्षमता परम्परागत किस्मों से लगभग दोगुनी है यानी लगभग 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है.
वैसे तो रबी सीजन में चने की बुवाई 20 अक्टूबर से 15 नवंबर तक की जाती है. लेकिन अगेती किस्मों की खेती किसान अक्टूबर के महीने में भी कर सकते हैं. वहीं, चने के खेत मे 15 टन गोबर की खाद या 5 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट मिला लें. इसके अलावा अच्छी पैदावार के लिए 20 किलो नाइट्रोजन और 40 किलो फास्फोरस प्रति हेक्टेयर खेतों में मिलाएं. फिर खेतों की अच्छे से जुताई करके चने की बुवाई कर दें.
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