
अक्टूबर का महीना सब्जियों की खेती के लिए काफी अच्छा माना जाता है. इसी क्रम में वाराणसी स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, अदलपुरा में ओडिशा के देवघर जिले से आए 27 प्रगतिशील किसानों को सब्जी की उन्नत खेती का प्रशिक्षण दिया गया. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को पारंपरिक धान की खेती से हटकर सब्जी फसलों के माध्यम से फसल विविधीकरण के लिए प्रोत्साहित करना था, ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके.
प्रशिक्षण के दौरान, संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों को सब्जी उत्पादन की नवीनतम तकनीकों की जानकारी दी. इसमें समेकित कीट एवं रोग प्रबंधन, जैविक खेती, सब्जी के पौधों की ग्राफ्टिंग, उन्नत बीज उत्पादन, पॉलीहाउस जैसी संरक्षित खेती, मशरुम उत्पादन और सब्जियों के प्रसंस्करण व विपणन जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल थे. किसानों को व्याख्यान के साथ-साथ प्रेक्टिकल भी दिया गया ताकि वे इन तकनीकों को आसानी से अपने खेतों में अपना सकें.
संस्थान के निदेशक, डॉ. राजेश कुमार ने किसानों को संबोधित करते हुए निर्यात योग्य और रंग-बिरंगी सब्जियों की खेती पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी. उन्होंने कहा, आज के समय में ताजी सब्जियों की मानक गुणवत्ता बनाए रखना और उनका प्रसंस्करण कर मूल्य संवर्धन करना बाजार की सबसे बड़ी मांग है.
डॉ. राजेश ने आगे बताया कि अक्टूबर का महीने में आप पालक की खेती कर सकते हैं. क्योंकि पालक कम समय में बिक्री के लिए तैयार हो जाता है. इसकी खेती में लागत भी बहुत कम आती है. मूली और गाजर की खेती के लिए अक्टूबर माह बेहतरीन माना जाता है.
प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक एवं प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. नीरज सिंह ने बताया कि किसान अगर बाजार का सही अवलोकन करें, प्रमाणित बीजों और दवाओं का इस्तेमाल करें तथा सामूहिक खेती करें तो वे सीधे निर्यातक से जुड़कर अधिक लाभ कमा सकते हैं. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि किसान अतिरिक्त आय के लिए ककड़ी, खरबूजा, तरबूजा आदि के बीजों से कवच हटाकर उन्हें अधिक मूल्य पर बेच सकते हैं. ऐसे में बाजार में अच्छा रेट मिल सकता है.
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