मटर देश की शीतकालीन सब्जियों में एक है. दलहनी सब्जियों में मटर का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है. मटर की खेती से जहां एक ओर कम समय में अधिक पैदावार मिलती है तो वहीं ये खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में भी ये काफी कारगर है. वहीं, रबी सीजन आते ही अगेती मटर की खेती शुरू हो जाती है. अगेती मटर की किस्म की बुआई के लिए अक्टूबर के शुरुआत से अक्टूबर के दुसरे पखवाड़े तक की जाती है. वहीं, मटर की इन किस्मों की सबसे खास बात यह है कि ये 50 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे खेत जल्दी खाली हो जाता है और किसान दूसरी फसलों की बुआई कर सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं भारत की पांच मशहूर मटर की किस्मों के बारे में जिसकी खेती बेहतर पैदावार देती है और किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं.
काशी नंदिनी मटर की एक अगेती किस्म है. अगेती किस्मों में इस किस्म का मुख्य स्थान है. बुवाई के लगभग 60-65 दिनों में इसकी फलियां तुड़ाई योग्य हो जाती हैं. इसकी एक फली में 7-9 दाने बनते हैं. इसकी सबसे बड़ी खास बात ये है कि इसके पौधे में लगे सभी फलियां एक साथ तैयार हो जाते हैं, जिससे बार-बार तुड़ाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है.
आर्केल एक मटर की यूरोपियन किस्म है. इसके दाने मीठे होते हैं. यह मटर की जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में से एक है. इसकी फलियों को बुवाई के करीब 60 से 65 दिन बाद तोड़ना शुरू कर सकते हैं. इसकी फलियां आठ से 10 सेमी लंबी तलवार के आकार की होती हैं और इसमें पांच से छह दाने होते हैं.
पूसा श्री किस्म वर्ष 2013 में विकसित की गई एक अगेती किस्म है. यह किस्म उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में बुवाई के लिए उपयुक्त है. ये किस्म बुवाई के 50 से 55 दिनों बाद फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इसकी प्रत्येक फली से 6 से 7 दाने निकलते हैं. वहीं, इससे प्रति एकड़ 20 से 21 क्विंटल उत्पादन प्राप्त होता है.
ये किस्म हाइब्रिड मटर की एक अगेती प्रजाति है. इसे पंत मटर 13 और डी डी आर- 27 के संकरण से विकसित किया गया है. इसकी बुवाई से 30 से 35 दिनों के अंदर ही इसमें फूल आने लगते हैं, जबकि इसकी हरी फलियों के रूप में पहली तुड़ाई 50 से 55 दिनों में कर सकते हैं. इस किस्म की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है, जिसके कारण इसमें चूर्ण फफूंद और फली छेदक रोग का प्रकोप कम देखने को मिलता है.
मटर की ये एक विदेशी किस्म है, जिसके पौधों की फलियों में बनने वाले बीज झुर्रीदार पाए जाते हैं. इस किस्म का पौधा बौना दिखाई देता है. जिसके पौधे बीज रोपाई के लगभग 50 से 60 दिन बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इस किस्म के पौधों की प्रत्येक फलियों में औसतन 5 से 6 दाने पाए जाते हैं. इस किस्म पौधों से हरी हेक्टेयर औसतन उत्पादन 10 टन के आसपास पाया जाता है.
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