दक्षिण भारत के कई राज्यों में सिंचाई के लिए पानी की किल्लत है. सिंचाई के अभाव में खेत में खड़ी फसलें सूख रही हैं. यहां तक कि ट्यूबवेल भी सूख गए हैं. वहीं, तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में पानी की कोई कमी नहीं है. जिले के जलाशयों में सिंचाई के लिए प्रयाप्त मात्रा में पानी है. ऐसे में पानी की उपलब्धता को देखते हुए जिला प्रशासन लगभग चार वर्षों के बाद दूसरे फसल सीजन के लिए तैयारी कर रहा है. सांबा फसल का मौसम खत्म होने के साथ, किसानों ने दूसरे सीजन पर काम शुरू कर दिया है. इस बार किसानों ने लगभग 14,000 हेक्टेयर में खेती की है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आमतौर पररामनाथपुरम जिले के किसान केवल सांबा फसलों की खेती करते हैं, क्योंकि अधिकांश क्षेत्र वर्षा आधारित हैं. लेकिन जिले में कुछ किसानों के पास दूसरी फसल उगाने के लिए पर्याप्त पानी है. पिछले वर्ष अच्छी बारिश होने के चलते जलाशयों में प्रयाप्त मात्रा में पानी है, जिससे जिले की सिंचाई समस्या भी हल हो गई है. कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जिला कलेक्टर विष्णु चंद्रन की सलाह पर, दूसरे फसल सीजन में सभी 11 ब्लॉकों में अधिक किसानों को शामिल करने के लिए विशेष जिला-व्यापी अभियान आयोजित किए जाएंगे. लगभग 14,500 हेक्टेयर में खेती होने की उम्मीद है.
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जिले में अकेले कपास की फसल लगभग 8,500 हेक्टेयर में उगाए जाने की उम्मीद है. बाकी के रकबे का उपयोग दालों, बाजरा और तिलहन की खेती के लिए किया जाएगा. रामानुजम नाम के एक किसान ने कहा कि रामनाथपुरम के लिए दूसरा सीजन काफी दुर्लभ है. लगभग तीन से चार साल पहले, दूसरी फसल की खेती पानी की उपलब्धता पर निर्भर करती थी. अब, किसानों के पास दूसरी फसल की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी है.
हालांकि, बागवानी फसलों के बारे में बोलते हुए तिरुवदनई के एक किसान ने अफसोस जताया कि गर्मी के मौसम से पहले बढ़ते तापमान से मिर्च जैसे पौधों पर असर पड़ने का खतरा है, जो अपने फूल चरण तक पहुंचने वाले हैं. हालांकि किसानों को डर है कि मौसम की स्थिति में बदलाव से बाद में उपज प्रभावित हो सकती है.
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वहीं, कल खबर सामने आई थी कि तेलंगाना के नलगोंडा जिले में किसान मौसम की मार से परेशान हो गए हैं. औसत से काफी काफी कम बारिश होने से जिले में सूखे जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं. इससे खेत में लगी धान की फसल लूखने लगी है. ऐसे में किसान सूखी फसल को मवेशियों को खिला रहे हैं. किसानों का कहना है कि अगर समय रहते बारिश नहीं होती है, तो पूरी फसल चौपट हो जाएगी. इससे उनका बहुत अधिक आर्थिक नुकसान होगा. इसलिए सरकार को किसानों की मदद करनी चाहिए.
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