समिति यह जांचेगी कि क्या एमएसपी को कानूनी मान्यता देने से उत्पादकता में बढ़ सकती है.हरियाणा, पंजाब में बढ़ते कर्ज और घटते उत्पादन के बीते कुछ दशकों के आंकड़ों पर सुप्रीमकोर्ट ने चिंता जताई है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त उच्चस्तरीय समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा है कि पंजाब और हरियाणा में तीन दशकों से कृषि उत्पादन में स्थिरता और बढ़ते कर्ज ने किसानों के लिए संकटपूर्ण स्थिति पैदा कर दी है. समिति ने कहा कि वह इस बात की जांच करेगी कि क्या एमएसपी को कानूनी मान्यता देने से उत्पादकता में बढ़ोत्तरी हो सकती है. समित ने कहा कि MSP को कानूनी मान्यता देने की किसानों की मांग पर गंभीरता से विचार करने की सिफारिश करते हुए जोर दिया है.
पंजाब-हरियाणा शंभू सीमा पर चल रहे किसानों के आंदोलन का समाधान खोजने के लिए गठित समिति ने शुक्रवार को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा कि दोनों राज्यों में कृषि संकट पिछले तीन दशकों से दिखाई दे रहा है. रिपोर्ट में कहा गया कि समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि हाल के दशकों में किसानों का संस्थागत कर्ज कई गुना बढ़ गया है. पंजाब में यह 2022-23 में 73,673 करोड़ रुपये और हरियाणा में 76,530 करोड़ रुपये था.
उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि शुद्ध कृषि उत्पादकता में गिरावट, उत्पादन लागत में इजाफा, अपर्याप्त मार्केटिंग सिस्टम और कृषि रोजगार में कमी ने कृषि आय को घटा दिया है. छोटे और सीमांत किसान, साथ ही खेतिहर मजदूर इस आर्थिक संकट से सबसे अधिक प्रभावित और कमजोर वर्ग के रूप में उभरे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब भी आत्महत्या महामारी से बच नहीं पाया है, जो कुछ अन्य राज्यों में किसानों के बीच स्पष्ट है. रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में 2000-2015 के बीच 16,606 किसानों, जिनमें से अधिकांश छोटे और सीमांत तथा भूमिहीन खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की है. कहा गया है कि बढ़ते कर्ज संकट पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, ताकि कर्ज किसानों और खेतिहर मजदूरों को राहत प्रदान की जा सके. पैनल ने कहा कि वह एमएसपी को कानूनी मान्यता देने के लिए किसानों की मांग की जांच करेगा.
भारत की कृषि अर्थव्यवस्था एक चौराहे पर खड़ी है, जो बढ़ते कर्ज, घटती आय और बढ़ते जलवायु संकट से जूझ रही है, फरवरी से पंजाब-हरियाणा सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांगों को संबोधित करने के लिए गठित सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी मान्यता देने की किसानों की मांग पर गंभीरता से विचार करने की सिफारिश करते हुए जोर दिया है. कमेटी ने कृषि संकट को लेकर चिंता जताई और एमएसपी कानून पर बातचीत की मांग की है. सुप्रीमकोर्ट की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम सभी एक उद्देश्य के लिए काम कर रहे हैं. इस मामले को किसी की ओर से प्रतिकूल रूप से नहीं लिया जाना चाहिए.
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