ग्रीष्मकालीन फसलों के एरिया में इस साल भारी उछाल दर्ज किया गया है. इस साल 10 मई तक 75.89 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है. जबकि इसी अवधि तक पिछले साल 69.70 लाख हेक्टेयर में ही बुवाई हुई थी. यानी इस साल ग्रीष्मकालीन फसलों का एरिया 6.18 लाख हेक्टेयर बढ़ गया है. अगर पांच साल के औसत को देखें तो यह सिर्फ 66 लाख हेक्टेयर ही था. ग्रीष्मकालीन धान के तहत लगभग 30.52 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवरेज की सूचना दी गई है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान इसकी कवरेज 27.88 लाख हेक्टेयर थी. यानी एरिया 2.64 लाख हेक्टेयर बढ़ गया है. दलहन और तिलहन फसलों का एरिया भी बढ़ गया है. इनका रकबा बढ़ना सुखद है, क्योंकि दोनों में भारत अब तक आत्मनिर्भर नहीं हो पाया है. इसलिए अपना देश खाद्य तेलों और दालों का आयातक बना हुआ है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार दलहन फसलों के एरिया में भी पिछले साल के मुकाबले 2.13 लाख हेक्टेयर का इजाफा हुआ है. पिछले वर्ष 10 मई तक 20.26 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुवाई हुई थी, जबकि इस साल इसका रकबा 22.40 लाख हेक्टेयर हो गया है. हालांकि पिछले पांच साल का औसत रकबा सिर्फ 17.23 लाख हेक्टेयर ही था. मूंग की बुवाई 18.66 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल से 1.95 लाख हेक्टेयर अधिक है. उड़द की बुवाई 3.48 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इसका रकबा 3.25 लाख हेक्टेयर था.
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श्री अन्न यानी मोटे अनाजों की बुवाई में भी इजाफा हुआ है. पिछले वर्ष 10 मई तक 11.67 लाख हेक्टेयर में मोटे अनाजों की बुवाई हुई थी, जिसका एरिया इस साल बढ़कर 12.66 लाख हेक्टेयर हो गया है. बाजरा की बुवाई 4.692 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है. मक्का की बुवाई 7.376 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है. मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि रागी की बुवाई 0.135 और ज्वार की 0.456 लाख हेक्टेयर में हुई है.
कृषि मंत्रालय के अनुसार तिलहन फसलों की बुवाई इस साल 10 मई तक 10.31 लाख हेक्टेयर में हुई है. जबकि पिछले साल इसी अवधि में 9.89 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी. यानी इसका एरिया 0.417 लाख हेक्टेयर में बढ़ गया है. पिछले पांच साल में ग्रीष्मकालीन तिलहन फसलों की बुवाई का एरिया सिर्फ 9.785 लाख हेक्टेयर है. मूंगफली की बुवाई 4.791 लाख हेक्टेयर, सूरजमुखी का एरिया 0.348 और तिल की बुवाई 4.925 लाख हेक्टेयर में हुई है.
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