कर्नाटक में गन्ने की खेती में लगे किसान इन दिनों खासे परेशान हैं. वजह है मिलों की तरफ से उनके भुगतान में देरी होनी. अब परेशान किसानों ने राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में गन्ने की खेती करने वाले किसानों को इस समय बेहद कठिन दौर से गुजरना पड़ रहा है क्योंकि कई शुगर मिल्स ने उनके बिल अभी तक क्लीयर नहीं किए हैं. राज्य में कृषि गतिविधियां इस बंद हैं और ऐसे में किसानों को कोई आय नहीं हो पा रही है. चीनी मिलों ने अक्टूबर 2023 से मार्च 2024 के अंत तक गन्ने की पेराई की थी.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (एफआरपी) नियमों के तहत गन्ना बिल का भुगतान वितरण के 14 दिनों के अंदर किया जाना चाहिए. लेकिन दिसंबर से कई फैक्ट्रियों ने किसानों के बिल की अदायगी नहीं की है. कुछ फैक्ट्रियों ने तो पिछले साल का बकाया तक नहीं दिया है. चालू सीजन में राज्य की 76 मिलों ने गन्ने की पेराई की है. सीजन में 30 अप्रैल तक कुल 5.8 करोड़ टन गन्ने की पेराई की जा चुकी है. कुल 52.9 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन हुआ, जिसकी कुल रिकवरी 9 फीसदी रही.
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गन्ना कटाई का मौसम खत्म हुए तीन महीने बीत चुके हैं और मिलों पर अभी भी करीब 1500 करोड़ रुपये का बिल बकाया है. बेलगावी जिले की 28 चीनी मिलों में से 10 मिलों पर एफआरपी के अनुसार किसानों का 216 करोड़ रुपये का गन्ना बिल बकाया है. अधिकांश चीनी मिलों ने सरकार की तरफ से तय उपज आधारित एफआरपी दर पर गन्ने का बिल नहीं चुकाया है जो कि पहली किस्त में औसतन 2,790 से 3,000 रुपये प्रति टन है. मिलों के प्रबंधन बोर्ड ने उस समय भरोसा दिलाया था कि वे दूसरी किस्त में बकाया बिलों का भुगतान करेंगे.
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साल 2020 से लेकर अब तक किसी भी चीनी मिल ने दूसरी और तीसरी किस्त का बकाया बिल जारी नहीं किया है. आरोप है कि कुछ मिलों ने पहली किस्त का भुगतान ही ठीक से नहीं किया है. ऐसी शिकायतें भी हैं कि चीनी मिलें किसानों से लाखों रुपए ठग रही हैं. किसानों का कहना है कि शिकायत है कि उन्होंने इस मामले को जिला प्रशासन, चीनी आयुक्त और सरकार के ध्यान में लाया है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. बेलगावी जिले में गन्ना बिल बकाया के मामले में जो चीनी मिलें सबसे आगे हैं उनके नाम हैं, हिरण्यकेशी शुगर्स, सतीश शुगर्स, सोमेश्वर शुगर्स, विश्वराज शुगर्स, बेलगावी शुगर्स, अथानी शुगर्स, मालाप्रभा शुगर्स, संगम शुगर्स, मार्कंडेय शुगर्स और उग्र शुगर्स.
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