उत्तर प्रदेश भारत के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्यों में से एक है. प्रदेश में इस साल (2024-25) का गन्ना पेराई सत्र शुरू हो चुका है. लेकिन अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (SAP) घोषित नहीं किया है. जबकि कायदे से किसानों को फसल की बुवाई से पहले ही फसल का दाम मालूम होना चाहिए. उत्तर प्रदेश की 70 चीनी मिलों ने किसानों से गन्ने की खरीद शुरू कर दी है. इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में उत्तर प्रदेश के गन्ना आयुक्त प्रभु नारायण सिंह ने बताया कि बीते कुछ वर्षों के इतिहास पर नजर डाले तो आपको पता चल जाएगा कि गन्ना का दाम कब बढ़ाया जाता है. उन्होंने बताया कि तीन कमेठी इस पर निर्णय लेते है. पहली गन्ना विभाग के तरफ से प्रस्ताव मुख्य सचिव को भेजा जाता है, वहां से कैबिनेट बैठक के बाद सरकार फैसला लेती है.
गन्ना आयुक्त बताते हैं कि प्रदेश की सारी चीनी मिल पूरी तरह से चालू हो जाए, फिर निर्णय लिया जाता हैं. किसान के हित में फैसला लेने में 2-3 महीने का समय लगता है. ऐसे में ये कहा जा सकता है,कि आने वाले दो से तीन महीने में यूपी सरकार गन्ना का दाम बढ़ा सकती हैं. बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले योगी आदित्यनाथ सरकार ने उतर प्रदेश के गन्ना किसानों को तोहफा देते हुए गन्ने का समर्थन मूल्य 20 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया था. यूपी में फिलहाल गन्ने की रिजेक्टेड प्रजाति का समर्थन मूल्य 355 रुपये/क्विंटल है. सामान्य और उन्नत किस्म के गन्ने का समर्थन मूल्य 350 रुपये प्रति क्विंटल है. तीनों श्रेणियों में 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई थी.
उधर, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसान तक से खास बातचीत में यूपी सरकार से मांग करते हुए कहा कि बढ़ती महंगाई और लागत को देखते हुए गन्ने का भाव 500 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया जाए और बकाया भुगतान भी ब्याज सहित कराया जाए. उन्होंने कहा, गन्ने के रेट के मुद्दे पर सरकार इस बार खास सक्रिय नहीं दिख रही है. इसके पीछे किसान संगठनों में आया बिखराव भी एक बड़ी वजह है. क्योंकि सरकार किसानों को एकजुट नहीं देख सकती, ऐसे में सरकार किसानों को कई संगठनों में बांट कर अपनी राजनीति करना चाहती है.
आपको बता दें कि यह तीसरा मौका है जब 2017 के बाद योगी सरकार ने तीसरी बार गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाया था. 2017 में पहली बार जब बीजेपी की सरकार बनी थी तब गन्ने के समर्थन मूल्य में 10 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई थी. इसके बाद 2022 विधानसभा चुनाव से पहले 2021 में गन्ने के मूल्य में 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की थी. इस तरह देखा जाए तो पिछले सात सालों में योगी सरकार ने गन्ने का समर्थन मूल्य 55 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया है.
उत्तर प्रदेश में कुल 120 चीनी मिलों में से 93 मिलों के साथ निजी क्षेत्र सबसे आगे है, उसके बाद 24 इकाइयों के साथ सहकारी क्षेत्र और तीन के साथ उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम (UPSSC) का स्थान है.
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