चीनी उत्पादन में गिरावट की आशंका के बीच चीनी की कीमतों को नीचे बनाए रखना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. बीते 4 माह में चीनी की औसत कीमत करीब 3 रुपये तक बढ़ चुकी है. जबकि, अधिकतम कीमत में 10 रुपये तक बढ़ोत्तरी हुई है. त्योहारी सीजन निकलने के बाद भी कीमतों में बढ़ोत्तरी की आशंका बनी हुई है. अगस्त और सितंबर में औसत से 12 फीसदी कम बारिश के चलते चीनी उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका है.
कैरी फॉरवर्ड स्टॉक कम रहने और उत्पादन में गिरावट की आशंका के कारण इस साल चीनी की कीमतें ऊंची रहने वाली हैं. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार चीनी की कीमतों में बढ़ोत्तरी का सामना करना पड़ सकता है. त्योहारी सीजन खत्म हो चुका है और देश भर में नया गन्ना पेराई सीजन शुरू हो चुका है फिर भी कीमतें कम नहीं हुई हैं. पुणे के चीनी व्यापारी अभिजीत घोरपड़े ने कहा कि हमने पेराई सीजन की शुरुआत के बाद चीनी की कीमतों में कोई खास गिरावट नहीं देखी है.
1 अक्टूबर से शुरू नए सीजन में चीनी उत्पादन 3.3% घटकर 31.7 मिलियन मीट्रिक टन होने की बात कही गई है. क्योंकि, कम बारिश के कारण महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की पैदावार सर्वाधिक प्रभावित होने का खतरा है. इन दोनों राज्यों से कुल गन्ना उत्पादन का आधे से अधिक हिस्सा आता है.
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अभिजीत घोरपड़े ने कहा कि चीनी मिल की पहले की कीमत जो त्योहारी सीजन की मांग के कारण अक्टूबर के पहले सप्ताह के आसपास सबसे छोटे आकार की एस-30 ग्रेड चीनी के लिए 36.50 रुपये प्रति किलोग्राम से 1 रुपया बढ़कर 37.50 प्रति किलोग्राम दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि सरकार चीनी निर्यात पर सख्ती कर रखी है, ऐसे में चीनी की कीमत को सरकार स्थिर बनाए रखने में कामयाब रह सकती है.
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