कभी जल संकट की पीड़ा झेल चुके बुंदेलखंड के ललितपुर जिले के तालबेहट में जल कथा के रूप में एक अनूठा आयोजन हुआ. इसे वरुण कथा के नाम से भी जाता है. इस कार्यक्रम ने जल संरक्षण को आध्यात्मिकता से जोड़ते हुए न केवल जल चेतना जागृत की, बल्कि खेत-खलिहानों तक जल पहुंचाने की उम्मीद भी जगाई.
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. उन्होंने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह कथा जल और किसान को समर्पित एक प्रेरणादायक यात्रा है. शाही ने इसे जल संरक्षण का एक आध्यात्मिक आंदोलन बताया जो भावनाओं और व्यवहार को जोड़ता है.
कृषि मंत्री ने बताया कि बुंदेलखंड को दाल का कटोरा कहा जाता है, लेकिन जल प्रबंधन की कमी ने यहां की खेती को वर्षों तक संघर्ष करने पर मजबूर किया. हालांकि अब हालात बदल रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस अभियान का सबसे उज्ज्वल पक्ष है जल सखियों की संजीदा भूमिका. इस सखियों के अथक प्रयासों से गांवों में कुएं, तालाब और छोटी नदियां फिर से जीवंत हो रही हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने भी इन जल सखियों के प्रयासों की प्रशंसा की है. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जल संरक्षण के लिए चल रही यह जनआंदोलन जैसी मुहिम आत्मनिर्भर बुंदेलखंड की नींव रख रही है.
कृषि मंत्री ने जल सखियों से कम पानी वाली फसलों को बढ़ावा देने और मोटे अनाज की खेती के प्रति किसानों को जागरूक करने की अपील की. उन्होंने कहा कि पानी बचाने का संदेश केवल भाषणों तक नहीं, बल्कि गांव-गांव की भागीदारी से साकार हो सकता है. उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड कभी देश के सबसे जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में गिना जाता था, आज बदलाव की ओर बढ़ रहा है.
यहां औसतन 750 से 850 मिमी तक वर्षा होती है, फिर भी जल के समुचित प्रबंधन के अभाव में यहां की खेती और आजीविका प्रभावित होती रही है. अब बुंदेलखंड में 31,131 खेत तालाबों के निर्माण से 80,000 हेक्टेयर में सिंचाई की व्यवस्था की गई है, यह अपने आप में एक मूक क्रांति है.
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