बिहार में बीते दो दिनों से हो रही बेमौसम बारिश की वजह से जनजनीवन काफी प्रभावित हुआ है. एक तरफ ग्रामीण इलाकों में सड़कों की हालत खस्ताहाल हो गई है. दूसरी ओर आंधी, बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. बारिश के कारण खेतो में लगी गेहूं की फसल गिर गई है. अधपके गेहूं के खेतों में पानी लगने के कारण फसल बर्बाद होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. किसान इस वर्ष अच्छी पैदावार की उम्मीद में थे लेकिन बेमौसम की बारिश ने किसानों के अरमान पर पानी फेर दिया है. बेमौसम की बारिश किसानों के लिए आफत बन गई है. इस बारिश ने रबी फसलों को भारी नुकसान किया है.
बारिश की वजह से मसूर, चना, सरसों और गेंहू को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. बारिश के साथ हवा के कारण कई जगह पर गेहूं की फसल खेतों में गिर गई है. जिन खेतों में गेहूं में दाने अभी भर रहे हैं और पके नहीं हैं, उसमें तो बारिश के बाद ठंड से कुछ फायदा हो सकता है. लेकिन जो पक गए हैं, उसके कटने में भी देरी होगी. तेज हवाओं के साथ बारिश से उतर बिहार में फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है.सरसों के दाने भी खेतों में ही गिर गये हैं. रबी फसलों में 15 से 20 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है. वहीं, बारिश की वजह से स्थिति खराब हो चुकी है. यही स्थिति लीची के साथ भी है. आम को 20 से 25 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है. गेहूं और दलहन की फसल बर्बाद हो गई है.
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मुजफ्फरपुर जिले में भी बेमौसम बारिश और तेज पछुआ हवा से गेहूं की फसल को व्यापक क्षति हुई. सैकड़ों एकड़ खेतों में लगी गेहूं की फसल जमीन पर लोट गई. गेहूं की कटनी के समय किसानों के लिए आफत आंधी-पानी आफत बनकर आए. फसल गिर जाने से पैदावार पर भी हुई तेज बारिश का असर पड़ा है. इसकी वजह से किसान काफी परेशान हैं. मूसलाधार बारिश से यहां गांवों की सड़कों की सूरत भी बिगड़ गई है. हालांकि आम और लीची के किसानों को बारिश से फायदा पहुंचने का अनुमान है. मगर कुछ जगहों पर तेज हवा की वजह से आम के मंजर पेड़ से झड़ गए हैं. इस बार पिछले साल के मुकाबले आम के मंजर भी 40 फीसदी कम आए हैं.
डीएम सुब्रत कुमार सेन ने बताया कि कृषि पदाधिकारी को फसल नुकसान का आकलन करने का आदेश दे दिया है. आकलन के बाद किसानों को राहत अनुदान के लिए प्रस्ताव दिया जाएगा. किसान सह पैक्स अध्यक्ष बनवारी सिंह ने बताया कि बेमौसम बरसात से गेहूं की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. 50 फीसदी गेहूं के बालियां झड़ चुकी हैं. गेहूं के खेतों में पानी जमा है. पहले एक कट्ठा में जहां एक क्विंटल गेहूं की उम्मीद थी, वहीं अब मात्र 50 से 60 किलो गेहूं ही किसानों को मिल पाएगा. उनका कहना था कि किसानों ने ढाई एकड़ में गेहूं की खेती की थी. उनका मुख्य पेशा लीची की खेती का है. बेमौसम बरसात से लीची और आम पर भी बड़ा असर पड़ा है.
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वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि अभी किसी प्रकार का छिड़काव ना करें लेकिन लगातार हो रही बारिश से लीची और आम के मंजर झरने लगे हैं. तोरी के साथ साथ जितने भी दलहन और तिलहन की फसलें हैं उनपर भी इस बरसात का बुरा असर पड़ा है. जिलाधिकारी सुब्रत सेन ने बताया कि मौसम विभाग ने पहले से बारिश को लेकर भविष्यवाणी की थी. कल भी बारिश हुई थी और आज कुछ जगहों पर बारिश की संभावना है. जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी से फसल की जांच करवा लें. अभी आदर्श आचार संहिता लागू है. ऐसे में विभाग का जो भी दिशा निर्देश होगा हमलोग उस पर कार्रवाई करेंगे.
(मणिभूषण शर्मा की रिपोर्ट)
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