इस बार सोयाबीन किसानों की कमाई गिर सकती है. इसकी वजह है मार्केट में कम होती मांग. खबर है कि इस बार सोयाबीन की पेराई भी कम हो रही है क्योंकि घरेलू बाजार में इसकी मांग पहले से गिर गई है. पशुओं और मुर्गी आदि के दाने में सोयाबीन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता है. लेकिन इस बार मांग में कमी देखी जा रही है. एक बड़ी वजह ये भी है कि सोयाबीन की पेराई गिरी है. खाद्य बाजारों में भी पहले की तुलना में इसकी डिमांड पहले से घटी है. सबसे खास वजह है कि इसका निर्यात में भी पहले से गिरावट है क्योंकि विदेशी मार्केट में भी इसकी खेप कम निकल रही है. इन सभी वजहों को जोड़ दें तो किसानों को भारी घाटा लगता दिख रहा है.
सोयाबीन पेराई में ढिलाई के बारे में सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी कि SOPA ने बताया है कि अक्टूबर में शुरू हुई सोयाबीन की पेराई फरवरी में आते-आते 5 परसेंट से भी अधिक तक पिछड़ गई है. इस अवधि में 52.50 लाख टन सोयाबीन की पेराई हो सकी है. पिछले साल इसी अवधि में 55.50 लाख टन सोयाबीन की पेराई हुई थी.
इसके पीछे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों वजहों को जिम्मेदार बताया जा रहा है. घरेलू वजह की बात करें तो अभी मार्केट में सोयामील से लेकर सोया खली और पशुओं-मुर्गियों के दाने में इसकी खपत कम हो रही है. यहां तक कि फूड आइटम्स में भी इसकी मांग गिरी है. घरेलू स्तर पर एक और बड़ी वजह सोयाबीन तेल के दाम में गिरावट बताई जा रही है. जब इतने सारे फैक्टर एक साथ काम कर रहे हैं, तो जाहिर है कि इसकी मांग घटेगी. मांग घटने का सबसे बुरा असर किसानों पर दिखेगा जो इसे बेच कर कमाई करना चाहते हैं.
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सोयाबीन की पेराई घटने और तेल के दाम में गिरावट के पीछे एक बड़ी वजह तेल का आयात बढ़ना भी है. जब विदेशों से बड़ी मात्रा में तेल मंगाया जा रहा है, तो देश में उसकी पेराई लगातार गिर रही है. अगर यही आयात कम होता तो मांग पूरी करने के लिए इसकी पेराई बढ़ती. लेकिन अभी स्थिति ठीक विपरीत चल रही है. इन सभी बातों को जोड़ दें तो देश में सोयाबीन के उत्पादन में बड़ी कमी देखी जा रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर से फरवरी के बीच सोयाबीन के उत्पादन में तकरीबन 7 फीसदी की गिरावट है.
इन सभी फैक्टर्स को जोड़कर देखें तो इसका सबसे खराब असर किसानों पर पड़ रहा है. पिछले कई हफ्ते मांग में कमी और निर्यात में गिरावट से सोयाबीन का मंडी भाव नीचे चल रहा है. किसान अच्छी कमाई की उम्मीद में फसल और अपनी उपज लेकर मंडी में पहुंच रहा है, लेकिन उसे वाजिब भाव नहीं मिल पा रहा है. मंडियों का हाल देखें तो सोयाबीन का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी कि MSP से भी नीचे चला गया है. अभी सोयाबीन का एमएसपी 4600 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित है, मगर किसान यह रेट भी नहीं ले पा रहे हैं. यह ट्रेंड पिछले कई हफ्ते से चल रहा है और आगे भी इसके यूं ही बने रहने की संभावना जताई जा रही है.
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मध्य प्रदेश सोयाबीन में नंबर वन है. यहां की लगभग हर मंडी में इसका भाव एमएसपी से नीचे है. सोमवार को यहां की मंडियों में सोयाबीन का भाव 3071 रुपये से लेकर 4690 रुपये प्रति क्विंटल तक दर्ज किया गया. एगमार्कनेट का आंकड़ा बताता है कि मध्य प्रदेश में केवल दो ही मंडी दलोडा और सैलाना हैं जहां किसानों को सोयाबीन का दाम एमएसपी से अधिक मिल रहा है.
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