भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है. (Photo-Kisan Tak). भारत ने जब से गैर बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाया है तब से कई देशों में बेचैनी है. क्योंकि दुनिया भर में खाद्यान्न संट का माहौल बना हुआ है. इस बीच सिंगापुर खाद्य एजेंसी (SFA) ने कहा है कि वह गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध से छूट की मांग के लिए भारतीय अधिकारियों के संपर्क में है. भारत ने 20 जुलाई से इसके एक्सपोर्ट पर रोक लगाई हुई है. टूटे चावल का एक्सपोर्ट 8 सितंबर 2022 से ही बैन है. बासमती को छोड़ दें तो अब सिर्फ सेला चावल ही एक्सपोर्ट हो सकता है. फिलहाल, मीडिया को दिए एक बयान में, एसएफए ने चावल भंडार योजना जैसी अपनी दूरदर्शी रणनीतियों के माध्यम से कहा, "चावल की हमारी कुल आपूर्ति वर्तमान में स्थिर है और सभी के लिए पर्याप्त चावल है".
चावल भंडार योजना के तहत, चावल आयातकों को अपने मासिक आयात के दोगुने के बराबर एक भंडार रखने की आवश्यकता होती है. ताकि बाजार में चावल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित होती रहे. इस पर यह बयान आया है कि "हम नियमित रूप से इन्वेंट्री बफ़र्स की समीक्षा करते हैं अगर किसी समायोजन की जरूरत पड़ी तो हम उद्योग के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं."
इसे भी पढ़ें: ओपन मार्केट सेल स्कीम के बावजूद क्यों नहीं घटी गेहूं-आटा की महंगाई?
बिजनेसलाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार सिंगापुर के चावल आयात में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है. एजेंसी ने कहा है कि प्रतिबंध से केवल गैर-बासमती (चावल) का आयात प्रभावित होता है. गैर-बासमती चावल का शिपमेंट कुल चावल आयात का 17 प्रतिशत है. एसएफए ने कहा, "हम अपनी खाद्य आपूर्ति में व्यवधान को पूरी तरह से कम करने में सक्षम नहीं होंगे." एजेंसी ने कहा कि उपभोक्ताओं को "व्यवधान की स्थिति में" चावल की अन्य किस्मों, या कार्बोहाइड्रेट के अन्य स्रोतों पर जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है".
सिंगापुर के पास आयात की अच्छी रणनीति है. इसमें कहा गया है कि चावल के आयात में सप्लाई चेन की बाधाओं को रोकने के लिए भंडार और जमा करना होगा. यहां 30 से अधिक देशों से चावल का आयात होता है. सिंगापुर ने चावल को लेकर अपनी बात तब कही है जब भारत द्वारा 20 जुलाई को सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने और वैश्विक बाजार में चावल की कीमतें 600 डॉलर प्रति टन से ऊपर बढ़ गई हैं. इस समय भारतीय उबले हुए चावल और थाईलैंड के 25 प्रतिशत टूटे हुए चावल ही एकमात्र ऐसी किस्में हैं जिनकी कीमत 600 डॉलर से कम है.
भारत सरकार ने 2024 के आम चुनाव से पहले बढ़ती खाद्यान्न कीमतों को नियंत्रित करने के अपने प्रयासों के तहत सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह कदम पंजाब और हरियाणा में बारिश से धान की फसलों को नुकसान पहुंचने के अलावा कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में धान की बुआई पर असर पड़ने के कारण आपूर्ति की किसी भी कमी को दूर करने का भी एक उपाय था. गेहूं के एक्सपोर्ट पर 13 मई 2022 से ही रोक लगी हुई है.
इसे भी पढ़ें: ओपन मार्केट में 4500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचा प्याज का दाम, 2410 रुपये पर क्यों बेचेंगे किसान?
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today