लीची को फलों की रानी कहा जाता है. फलों में आम के बाद लीची की ही बादशाहत है. बिहार का मुजफ्फरपुर अपने शाही लीची के लिए जाना जाता है. यहां के लिची की शोहरत देश ही नहीं विदेशों में भी है. इस लीची की प्रसिद्धी काफी अधिक है. मुजफ्फरपुर के किसान अब लीची सीधे विदेश भी भेज सकेंगे. इसके लिए जिले के चार प्रखंडों में छह शीत गृह और छह पैक हाउस बनाए गए हैं. छह लीची उत्पादन संघों को किसानों से समन्वय बनाने की जिम्मेदारी दी गई है. साथ ही प्रतिदिन दस टन तक लीची की पैकेजिंग कर के निर्यात किया जाएगा. बिहार लीची एसोसिएशन, भारतीय निर्यात बैंक और बिहार बागवानी मिशन को इसके लिए अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई हैं. 19 मई को कोल्ड स्टोरेज और पैक हाउस का वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव द्वारा उद्घाटन किया जाएगा.
मुजफ्फरपुर के चार प्रखंड जहां लीची को सुरक्षित रखा जाएगा. इसमे बंदरा का बड़गांव, मुशहरी के मानिका, औराई के सरहचियां और आनंदपुर और मीनापुर का गंज बाजार शामिल हैं. इन सभी जगहों पर पैक हाउस और कोल्ड स्टोरेज बनाए जाएंगे.
आयात-निर्यात बैंक की ओर से सभी फार्म को जरूरत की सामान मुहैया कराई गई है, जिसमें सभी फार्मों को एक ट्रैक्टर, दो पावर स्प्रेयर, पांच टन क्षमता वाली सोलर चलित कोल्ड स्टोरेज तो वहीं बिहार बागवानी मिशन कि ओर से बोरिंग समेत पैक हाउस के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी दी गई है. बंदरा बरगांव के फार्म हाउस संचालक किसान केशव नंदन ने बताया कि उनके जिले में सबसे बड़ा 15 एकड़ में फार्म स्थापित किया गया है.
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बिहार लीची एसोसिएशन के अध्यक्ष, बच्चा प्रसाद सिंह ने कहा कि फार्म बिहार लीची एसोसिएशन की देखरेख में चलेगा. पहले शहर की एक प्रोसेसिंग यूनिट के संचालक के पास एसी सुविधा थी, लेकिन अब जिले के किसानों को यह सुविधा मिलेगी. उन्होंने कहा कि किसान अगर इसमें दिलचस्पी दिखाएंगे तो सभी प्रखंडों में फार्म बनाया जाएगा. जहां से लीची का निर्यात करके किसानों को उचित कीमत दी जाएगी.
उद्यान विभाग के सहायक निदेशक, तारिक असलम ने कहा कि किसान इस प्रोजेक्ट को आसानी से हासिल कर सकते हैं. यह प्रोजेक्ट बिहार बागवानी मिशन के तहत लाया गया है. इस मिशन का बजट चार लाख रुपये है. इसको लेकर सरकार 50 प्रतिशत सब्सिडी भी दे रही है. फिलहाल इस प्रोजेक्ट को चार प्रखंडों में स्थापित किया गया है. आने वाले दिनों में इसकी संख्या और बढ़ेंगी, ताकी लीची के किसानों को इससे फायदा हो.
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