ओडिशा में वर्तमान में धान के लिए किसानों को बीज कंपनियों से प्रति क्विंंटल 3100 रुपये का भाव मिल रहा है, लेकिन अब उन्होंने कंपनी के सामने इस भाव से ज्यादा की मांग की है. ऐसे में कंपनी अब दुविधा में पड़ गई है कि क्या उसे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करनी चाहिए या नहीं और अगर करना है तो वह रेट तय नहीं कर पा रही है. यह स्थिति सिर्फ ओडिशा में सीमित नहीं होने वाली है. ऐसा छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में भी देखने को मिल सकता है, क्योंकि इन राज्यों में भी धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अतिरिक्त बोनस राशि मिलती है.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, 3 अप्रैल को आयोजित हुए एक वेबिनार में ओडिशा के एक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) ने इसे लेकर सवाल उठाया, जिसके बाद कृषि मंत्रालय ने इस विषय पर ध्यान दिया. एफपीओ के प्रतिनिधि ने यह जानने की कोशिश की कि नेफेड या राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) किस भाव से राज्य से धान के बीज की खरीदी करेगा, क्योंकि किसानों को कम से कम 200 रुपये प्रति क्विंटल प्रीमियम की जरूरत होगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, एक आधिकारिक सूत्र ने धान के बीजों की उपलब्धता को लेकर कहा कि इसमें कोई समस्या होने की संभावना नहीं है, क्योंकि ज्यादातर किसान अपनी फसल का इस्तेमाल करते हैं और दूसरे राज्यों से भी बीजों की सप्लाई होगी, जिसकी कीमत सस्ती होने का अनुमान है.
पिछले साल राज्य के किसानों ने धान के बीज औसतन 2500-2800 रुपये प्रति क्विंटल का भाव देकर खरीदे थे. जबकि किसानों को धान के लिए एमएसपी से ज्यादा कीमत देना एक अच्छा कदम है. हालांकि, अकेले बीज के कारण उत्पादन की लागत में भी बढ़ोतरी होगी, जो कि अच्छी बात नहीं है.
पिछले 4 दशकों से धान की खेती कर रहे अर्थशास्त्र के रिटायर्ड प्रोफेसर एस एन दाश ने कहा कि CACP की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब, तेलंगाना और हरियाणा के साथ-साथ छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे राज्यों में 2022-23 तक के तीन सालों में चावल की खरीद में बाजार अधिशेष के मुकाबले ज्यादा हिस्सेदारी है, जबकि इस अवधि के दौरान ओडिशा में धान की उत्पादन लागत (ए2+पारिवारिक श्रम) 55,596 रुपये प्रति हेक्टेयर और छत्तीसगढ़ में 41,668 रुपये प्रति हेक्टेयर थी. रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-18 तक के तीन सालों में, ओडिशा में औसत ए2+एफएल धान की लागत 45,818 रुपये प्रति हेक्टेयर और छत्तीसगढ़ में 35,793 रुपये प्रति हेक्टेयर थी.
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