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फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ने कहा- एक साल और जारी रहे गेहूं और आटा के एक्सपोर्ट पर बैन

फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ने कहा- एक साल और जारी रहे गेहूं और आटा के एक्सपोर्ट पर बैन

गेहूं के दाम को लेकर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने की तारीफ. संगठन ने कहा- एफसीआई द्वारा ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत र‍ियायती दर पर बिक्री करने से गेहूं के दाम 600-800 रुपए प्रति क्विंटल तक गिरे. 

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सरकारी कोश‍िशों से कम हुआ गेहूं का दाम (Photo-Kisan Tak).  सरकारी कोश‍िशों से कम हुआ गेहूं का दाम (Photo-Kisan Tak).

रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने गुरुवार को कहा कि गेहूं, गेहूं का आटा, मैदा और सूजी सहित अन्य गेहूं उत्पादों के एक्सपोर्ट पर रोक साल 2023-24 के दौरान भी जारी रहनी चाहिए. द‍िल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए फेडरेशन ने बताया कि 26 जनवरी, 2023 को घोषित ओपन मार्केट सेल्स स्कीम (घरेलू) के कारण पूरे भारत में गेहूं और गेहूं उत्पादों की कीमतों में 600-800 रुपये प्रति क्विंटल की कमी आई है, जिससे आम लोगों और उद्योग जगत को राहत मिली है. फेडरेशन ने यह भी बताया कि इस साल 343.23 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती हुई है. गर्मियों की शुरुआत के बावजूद 106-110 मिलियन टन के बीच रिकॉर्ड फसल होने की उम्मीद है. 

फेडरेशन का मानना है क‍ि गेहूं की कीमतों में गिरावट और रिकॉर्ड उत्पादन के बीच सरकार 340 लाख टन गेहूं की खरीद करने में सक्षम होगी. सरकार के विभिन्न प्रयासों के कारण पिछले दो महीने में थोक और खुदरा बाजारों में गेहूं और आटा (आटा) की कीमतों में 6-8 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है. रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन के अनुसार, वर्तमान में आटे की कीमतें 2600-3000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रही हैं, जबकि जनवरी 2023 के मध्य में यह 3400-3800 रुपये प्रति क्विंटल थी.

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ब्रेड और बिस्किट को राहत

फेडरेशन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार एस ने कहा, “कम स्टॉक के बावजूद व्यापक परामर्श के बाद भारत सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को केंद्रीय पूल स्टॉक से 30 मीट्रिक टन गेहूं को बाजार में उतारने की अनुमति दी, ताकि गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों को कम किया जा सके. केंद्र के समय पर हस्तक्षेप से न केवल गरीब, निम्न और मध्यम वर्ग को राहत मिली है, बल्कि ब्रेड और बिस्किट सहित कई तरह के उद्योगों को भी राहत मिली है. क्यों‍क‍ि ओपन मार्केट सेल से गेहूं और गेहूं उत्पादों की कीमतों में गिरावट आई है.

...तो 45 रुपये होती गेहूं की कीमत

फेडरेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नवनीत चितलांगिया ने कहा क‍ि जिन राज्यों में सेंट्रल पूल से गेहूं मांग के अनुरूप उतारा गया है, वहां थोक बिक्री भाव 23-24 रुपये प्रति किग्रा तक पहुंच गया है. जबकि जिन राज्यों में माल उतारने की प्रक्रिया चल रही है, वहां भाव 24-25 रुपये प्रति क‍िलोग्राम का भाव है. यदि सरकार ने समय पर हस्तक्षेप न किया होता तो कीमतें 40-45 रुपये प्रति किलोग्राम तक जा सकती थीं. हम सरकार के समय पर हस्तक्षेप की सराहना करते हैं और आम आदमी पर मूल्य वृद्धि के बोझ को कम करने के लिए  सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. हम कीमत में कटौती करके सरकार के उद्देश्य को पूरा कर रहे हैं. 

बंपर खरीद की उम्मीद 

इस अवसर पर फेडरेशन के उपाध्यक्ष धर्मेंद्र जैन ने कहा  “हमारे सदस्य पहले ही कीमत में कटौती कर चुके हैं. परिणाम स्वरूप, कीमतें पहले ही थोक बाजार में 6-8 रुपये प्रति किलो कम हो चुकी हैं. जब हमारा पड़ोसी देश तीव्र मुद्रास्फीति की स्थिति से जूझ रहा है, ऐसे में सरकार ने जमीनी स्थिति पर ध्यान देकर वैश्विक मुद्रास्फीति के दबाव को स्पष्ट रूप से बेअसर कर दिया है. वर्ष 1940 में स्थापित 2500 से ज्यादा सदस्यों वाले फेडरेशन को इस वर्ष गेहूं की शानदार फसल और बंपर खरीद की उम्मीद है. 

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