Rice Export Ban: हर हाल में चाहिए सोना मसूरी और पोन्नी चावल, चाहे एक्सपोर्ट का नियम क्यों न बदलना पड़े…विदेशों में उठी ये बड़ी मांग

Rice Export Ban: हर हाल में चाहिए सोना मसूरी और पोन्नी चावल, चाहे एक्सपोर्ट का नियम क्यों न बदलना पड़े…विदेशों में उठी ये बड़ी मांग

राइस एक्सपोर्ट से जुड़े एक कारोबारी ने बताया क‍ि व‍िदेशों में रहने वाले भारतीय सांबा मसूरी, सोना मसूरी, पोन्नी, किचिली सांबा, नवारा, लाल चावल, इडली चावल, किचिली सांबा और गोबिंदोभोग के दीवाने हैं. इनमें से कुछ चावल तो बासमती से भी महंगे हैं. 

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Rice Export Ban: हर हाल में चाहिए सोना मसूरी और पोन्नी चावल, चाहे एक्सपोर्ट का नियम क्यों न बदलना पड़े…विदेशों में उठी ये बड़ी मांग सोना मसूरी और पोन्नी चावल की विदेशों में बड़ी मांग

गैर बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर रोक लगने के बाद अब दूसरे देशों में रह रहे भारतीयों को अपने पसंदीदा चावल के ल‍िए तरसना पड़ सकता है. सांबा मसूरी, सोना मसूरी, पोन्नी, किचिली सांबा, नवारा, लाल चावल, इडली चावल, किचिली सांबा और गोबिंदोभोग जैसे चावल खाने के प्रेमी चाहते हैं क‍ि इनका एक्सपोर्ट बंद न हो. चाहे एक्सपोर्ट का नियम ही क्यों न बदलना पड़े. केंद्र द्वारा सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद खासतौर पर अनिवासी भारतीयों को द‍िक्कत हो रही है. मुख्य रूप से दक्षिण भारतीयों को. सांबा मसूरी, सोना मसूरी बड़े पैमाने पर न‍िर्यात होता है और दूसरे देशों में रहने वाले भारतीय इन्हें बहुत पसंद करते हैं. 

राइस एक्सपोर्ट से जुड़े एक कारोबारी ने बताया क‍ि सांबा मसूरी, सोना मसूरी, पोन्नी, किचिली सांबा, नवारा, लाल चावल, इडली चावल, किचिली सांबा और गोबिंदोभोग में से कुछ चावल तो बासमती चावल से भी महंगे हैं. दूसरे देशों में इसे खाने वाले चाहते हैं क‍ि भले ही न‍ियम बदलना पड़े लेक‍िन ये चावल आए. सरकार को चावल की विशिष्टता को देखते हुए एक्सपोर्ट को लेकर शर्तों का उपयोग करना चाहिए. इनको खास चावल की किस्मों में शाम‍िल करें तो आसानी होगी.  

पोन्नी चावल का क‍ितना एक्सपोर्ट 

एक राइस व‍िशेषज्ञ ने कहा क‍ि पोन्नी, सोना मसूरी और पारंपरिक किस्मों के चावल निर्यात पर उपलब्ध डेटा इस बात की ओर इशारा करता है कि केंद्र को चावल को बासमती और गैर-बासमती के रूप में वर्गीकृत करना बंद कर देना चाहिए. न‍िर्यात पर प्रतिबंध ऐसे समय में आया जब दक्षिण भारत में उगाई जाने वाली दो विशेष किस्मों सोना मसूरी और पोन्नी का शिपमेंट 2016-17 में 1.23 लाख टन के उच्चतम स्तर से गिरने के बाद स्थिर हो रहा था. 

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सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर कब लगी रोक 

भारत ने 20 जुलाई से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. क्यों‍क‍ि सरकार चाहती है क‍ि अपने यहां चावल की महंगाई न बढ़े. अलनीनो की संभावना की वजह से धान की फसल को लेकर अन‍िश्च‍ितता है. गैर बासमती चावल एक्सपोर्ट में सफेद चावल की ह‍िस्सेदारी लगभग 36 फीसदी है. टूटे चावल का एक्सपोर्ट पर 8 स‍ितंबर 2022 से ही रोक लगी हुई है. 

ऐसे में अब बासमती को छोड़ दें तो अब स‍िर्फ सेला चावल ही एक्सपोर्ट हो सकता है. ज‍िसकी गैर बासमती चावल एक्सपोर्ट में ह‍िस्सेदारी करीब 44 परसेंट है. भारत दुन‍िया का सबसे बड़ा चावल उत्पादक और एक्सपोर्टर है. हमने करीब 90 हजार करोड़ रुपये का चावल एक्सपोर्ट क‍िया है जो अपने आप में र‍िकॉर्ड है.

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