UP News: प्रदेश में रबी (Rabi crops) की मुख्य फसल गेहूं समेत अन्य फसलों की बुआई की स्थिति बेहतर देखी जा रही है. अब तक इस वर्ष के लिए तय लक्ष्य 134 लाख हेक्टेयर के सापेक्ष 111 लाख हेक्टेयर में बुआई का कार्य किया जा चुका है. यह तय लक्ष्य का 82 प्रतिशत है. रबी सीजन 2022 में जहां 136.06 लाख हेक्टेयर भूमि आच्छादित थी और 427.83 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ. वहीं, आगामी रबी 2023 में खाद्यान्न एवं तिलहनी फसलों के अन्तर्गत 134.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर बोआई और 448.66 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है.
सरकार द्वारा तैयार रबी उत्पादन 2023 फसल उत्पादन रणनीति में कुल खाद्यान्न उत्पादन के 428.77 लाख मीट्रिक टन एवं तिलहन उत्पादन के 19.90 लाख मीट्रिक टन (खाद्यान्न एवं तिलहन के कुल उत्पादन 448.66 लाख मीट्रिक टन) के लक्ष्य के सापेक्ष गेहूं, जौ, मक्का, चना, मटर, मसूर, राई सरसों, तोरिया, अलसी के लिए अलग-अलग लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है. कृषि निदेशालय की रिपोर्ट के मुताबिक 7 दिसंबर 2023 तक तक गेहूं की बुआई का कार्य 79.13 लाख हेक्टेयर में हो चुका है. यह इस वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य 102 लाख हेक्टेयर का 77.58 प्रतिशत है. गत वर्ष समान अवधि में 75.91 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती हुई थी. अन्य दलहनी फसलों की स्थिति काफी बेहतर दिख रही है.
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चना, मसूर व मटर की खेती इस वर्ष के तय लक्ष्य के करीब पहुंच चुकी है. चना की बुआई तय लक्ष्य के 97 प्रतिशत, मटर की 98 प्रतिशत व मसूर की खेती तय लक्ष्य के 99 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है. वहीं अलीगढ़, आगरा, झांसी व लखनऊ मंडल में रबी फसलों की खेती की स्थिति सबसे बेहतर दिख रही है. अलीगढ़ मंडल में 6.73 लाख हेक्टेयर, आगरा में 7.55 लाख हेक्टेयर, झांसी में 10.29 लाख हेक्टेयर और लखनऊ मंडल में 12.80 लाख हेक्टेयर में बुआई का कार्य किया जा चुका है.
क्षेत्रफल की दृष्टि से देश में सर्वाधिक क्षेत्र में गेहूं की खेती उत्तर प्रदेश में की जाती है. जलवायुविक भिन्नताओं, संसाधनों की कमी, कृषि निवेशों के असंतुलित प्रयोग तथा उन्नत तकनीक का पूरा लाभ न लेने के कारण प्रदेश में गेहूं की उत्पादकता पंजाब एवं हरियाणा की अपेक्षा कम है. प्रदेश के विभिन्न जनपदों की विभिन्न फसलों की उत्पादकता में भी भारी अंतर है. उत्पादकता वृद्धि के लिए न्यूनतम उत्पादकता वाले ब्लाक,न्याय पंचायत के सम्बन्ध में भी समुचित रणनीति बनाकर त्वरित क्रियान्वयन सुनिश्चित कराने हेतु जनपद स्तर पर उत्पादकता बढ़ाने के लिए विभिन्न फसलों की ब्लाक,न्याय पंचायतवार उत्पादकता को आधार मानकर योजनायें बनाकर सघन पद्धतियों को लागू करने की योजना है.
क्षेत्रीय अनुकूलता तथा उपलब्ध संसाधनों के आधार पर फसलों एवं प्रजातियों का चयन कर कृषि की उन्नत प्राविधिकी का प्रयोग कर उत्पादकता में वृद्धि करने हेतु जनपद पर समुचित रणनीति तैयार की जा रही है. उत्तर प्रदेश यही नहीं, पावर कारपोरेशन, सिंचाई विभाग एवं नलकूप विभाग को स्पष्ट निर्देश है कि फसल उत्पादन के समय बिजली की आपूर्ति, नहरों में रोस्टर के अनुसार पानी चलने, सरकारी नलकूपों को कार्यरत रखा जाए. बीज शोधन के उपरान्त ही बीज की बुआई हेतु कृषकों को प्रेरित किया जाए. सूक्ष्म पोषक तत्व का प्रयोग मृदा परीक्षण के उपरान्त करना अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होता है. ऐसे में इस पर विशेष बल दिया जाएगा.
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