रबी सीजन की यह सुपर फूड फसल उगाएं, कम पानी और कम समय में बंपर कमाई पाएं

रबी सीजन की यह सुपर फूड फसल उगाएं, कम पानी और कम समय में बंपर कमाई पाएं

क्विनोआ को एक 'सुपरफूड' माना जाता है, क्योंकि यह प्रोटीन, फाइबर और कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसकी मांग पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है. किसानों के लिए इसकी खेती 'कम लागत में बंपर कमाई' का एक शानदार मौका है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे उगाना बेहद आसान है. यह पहाड़ी, मैदानी या बंजर भूमि सहित किसी भी तरह की मिट्टी में उग सकता है.

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रबी सीजन की यह सुपर फूड फसल उगाएं, कम पानी और कम समय में बंपर कमाई पाएंसुपरफूड क्विनोआ से बंपर कमाई

आज की दुनिया में जब स्वास्थ्य और पोषण को लेकर जागरुकता बढ़ रही है, तब 'सुपरफूड' शब्द बहुत लोकप्रिय हो गया है. ऐसा ही एक सुपरफूड है जिसे अनाज की तरह पकाया और खाया जाता है. मूल रूप से दक्षिण अमेरिका के एंडीज पर्वतों में उगने वाली यह फसल, आज अपने खास पोषण मूल्य के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गई है. भारत में भी इस फसल की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है, और यह देश के किसानों की आय का एक बेहतरीन स्रोत है. 

क्विनोआ महज 120 से 140 दिनों में, अच्छी उपज और आय बनने की क्षमता रखता है. क्विनोआ को सुपरफूड कहने के पीछे ठोस वैज्ञानिक कारण हैं. यह पोषण का एक खजाना है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह एक 'संपूर्ण प्रोटीन' स्रोत है. यह शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन का एक बेहतर विकल्प है. इसके अलावा, क्विनोआ पूरी तरह से ग्लूटेन-मुक्त होता है. इस तरह पोषण का 'पावरहाउस' है. 

सूखा-पाला सहने वाली 'सुपर' फसल

किसान अक्सर पारंपरिक फसलों जैसे गेहूं और चावल पर ही निर्भर रहते हैं. इन फसलों में पानी की खपत अधिक होती है और कभी-कभी बाजार में सही मूल्य भी नहीं मिल पाता. ऐसे में, क्विनोआ जैसी फसल एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभर रही है. क्विनोआ की फसल की सबसे अच्छी बात यह है कि यह कम पानी और कम देखभाल में भी अच्छी उपज दे सकती है. यह फसल विभिन्न प्रकार की जलवायु और मिट्टी में उग सकती है. यह सूखा और पाला सहने में भी सक्षम है. 

क्विनोआ की टॉप किस्में और इनकी खासियत

बाजार में मुख्य रूप से तीन प्रकार का क्विनोआ मिलता है: सफेद, लाल और काला. सफेद क्विनोआ सबसे आम है, जिसका स्वाद हल्का होता है और यह पकने के बाद नरम हो जाता है. लाल क्विनोआ पकाने के बाद भी अपना लाल रंग और कुरकुरापन बनाए रखता है, जो इसे सलाद के लिए बहुत उपयुक्त बनाता है. वहीं, काले क्विनोआ का स्वाद थोड़ा मीठा होता है और यह भी पकने पर अपना गहरा रंग और कुरकुरापन बरकरार रखता है.

इनके अलावा, भारतीय जलवायु के लिए विशेष रूप से दो उन्नत किस्में भी विकसित की गई हैं: 'हिम शक्ति', जो उच्च उत्पादकता वाली और पोषक तत्वों से भरपूर है, और 'टिटिकाका', जो जल्दी पकने वाली और अधिक उपज देने वाली किस्म है, जिसके दाने छोटे लेकिन घने होते हैं.

रबी सीजन में क्विनोआ उगाना बेहद आसान

क्विनोआ उगाना बेहद आसान है क्योंकि इसके लिए किसी खास जमीन या ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती. यह पहाड़ी, मैदानी या बंजर भूमि सहित किसी भी तरह की मिट्टी में उग सकता है. भारत में इसे रबी सीजन अक्टूबर-नवंबर के समय बुवाई के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. क्योंकि बीज अंकुरण के लिए 18 से 24 डिग्री सेल्सियस तापमान बेहतर है और यह पौधा रात की ठंडक के साथ दिन में 35 डिग्री तक का तापमान भी सहन कर लेता है. बुवाई के लिए, खेत तैयार करके बीजों को 1.5 से 2 सेंटीमीटर गहराई पर छिंटकवां विधि से या कतारों में बोया जा सकता है. 

कम पानी में 4 महीने में तैयार

इसे पानी की भी बहुत कम जरूरत होती है. कुछ सिंचाई के बाद यूरिया, गोबर की खाद और DAP देने से इसकी बढ़वार अच्छी होती है. 120 से 140 दिनों के बाद क्विनोआ के पौधों की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और दाने सख्त हो जाएं तो यह फसल की कटाई का सही समय होता है. उन्नत कृषि तकनीकों का उपयोग करके किसान प्रति एकड़ औसतन 4 से 5 क्विंटल तक की उपज प्राप्त कर सकते हैं. कटाई के बाद, बीजों को अच्छी तरह सुखाना सबसे जरूरी है, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भंडारण के समय दानों में नमी 10 प्रतिशत से कम हो.

खर्च हजारों में, कमाई लाखों में

किसानों के लिए 'सुपरफूड' क्विनोआ की खेती कम लागत में लाखों का मुनाफा देने वाला सौदा साबित हो सकती है. रबी सीजन में इसे उगाने का खर्च प्रति एकड़ महज 4 से 5 हजार रुपये आता है, जबकि पैदावार 4 से 5 क्विंटल तक हो जाती है. भारतीय बाजार में इसकी कीमत 20 हजार रुपये प्रति क्विंटल और अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक लाख रुपये प्रति क्विंटल तक मिलने की संभावना है. इस तरह, किसान लागत का मामूली खर्च निकालकर भी प्रति एकड़ 1 लाख से 3 लाख रुपये तक का जबरदस्त मुनाफा कमा सकते हैं.

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