भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने खरीफ सीजन का रकबा जारी किया है. 15 सितंबर को जारी रकबे की साप्ताहिक रिपोर्ट में बताया गया है कि धान की रोपनी में इस हफ्ते लगभग 11 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है. देश में इसका नॉर्मल रकबा 399.45 लाख हेक्टेयर होता है. 2023 में अब तक 409 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती हो चुकी है जबकि पिछले साल इसी अवधि में 398 लाख हेक्टेयर में खेती हुई थी. दूसरी ओर दलहन फसलों की बुआई में साढ़े छह लाख हेक्टेयर की गिरावट आई है. दलहन फसलों का रकबा देखें तो अरहर की बुआई में लगभग ढाई लाख हेक्टेयर की कमी आई है. पिछले साल 45.81 लाख हेक्टेयर में खेती हुई थी जबकि इस साल अभी तक 43.21 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है.
उड़द दाल की बात करें तो इसमें में 0.72 लाख हेक्टेयर में गिरावट आई है. पिछले साल 32.97 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी जबकि इस साल अभी तक 32.25 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है जबकि इसका नॉर्मल रकबा लगभग 39 लाख हेक्टेयर का रहा है. मूंग की बुआई में लगभग ढाई लाख हेक्टेयर की गिरावट है. कुल्थी में 0.01 लाख हेक्टेयर की गिरावट है. अन्य दालों की बात करें तो इसमें भी 0.79 लाख हेक्टेयर की गिरावट आई है.
मोटे अनाजों का रकबा देखें तो ज्वार में 1.46 लाख हेक्टेयर की कमी, बाजरे में 0.40 की तेजी, रागी में 0.46 लाख हेक्टेयर की कमी, छोटे मिलेट में 0.61 लाख हेक्टेयर की वृद्धि, मक्के में 2.4 लाख हेक्टेयर की तेजी है. इसके अलावा तिलहन में इस बार 2.12 लाख हेक्टेयर की गिरावट है. मूंगफली में डेढ़ लाख हेक्टेयर की कमी, सोयाबीन में 1.26 लाख हेक्टेयर की वृद्धि, मूंगफली में 1.30 लाख हेक्टेयर की कमी, तिल में 0.97 लाख हेक्टेयर की कमी, नाइजर में 0.25 लाख हेक्टेयर की कमी, अरंडी में 0.72 लाख हेक्टेयर की तेजी और अन्य तिलहन में 0.04 लाख हेक्टेयर की कमी दर्ज की गई है.
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इसके अलावा गन्ने के रकबे में 4.26 लाख हेक्टेयर की वृद्धि है जबकि जूट और मेस्टा में 0.40 लाख हेक्टेयर की गिरावट है. कपास में भी 4.07 लाख हेक्टेयर की गिरावट दर्ज की गई है.
पिछले वर्ष की इसी अवधि (398.58 लाख हेक्टेयर) की तुलना में लगभग 409.41 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई दर्ज की गई है. इस प्रकार पिछले वर्ष की तुलना में 10.83 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र कवर किया गया है. बिहार (4.79 लाख हेक्टेयर), झारखंड (2.92 लाख हेक्टेयर), पश्चिम बंगाल (2.02 लाख हेक्टेयर), छत्तीसगढ़ (1.57 लाख हेक्टेयर), मध्य प्रदेश (1.48 लाख हेक्टेयर), हरियाणा (1.29 लाख हेक्टेयर), उत्तर प्रदेश (1.23 लाख हेक्टेयर), पंजाब (0.32 लाख हेक्टेयर), राजस्थान (0.10 लाख हेक्टेयर), तेलंगाना (0.07 लाख हेक्टेयर), नागालैंड (0.04 लाख हेक्टेयर), मेघालय (0.04 लाख हेक्टेयर), गुजरात (0.03 लाख हेक्टेयर), केरल (0.02 लाख हेक्टेयर), मिजोरम (0.01 लाख हेक्टेयर) और अरुणाचल प्रदेश (0.01 लाख हेक्टेयर) में अधिक बुआई हुई है.
दूसरी ओर कर्नाटक (1.42 लाख हेक्टेयर), आंध्र प्रदेश (1.28 लाख हेक्टेयर), ओडिशा (0.83 लाख हेक्टेयर), तमिलनाडु (0.56 लाख हेक्टेयर), असम (0.50 लाख हेक्टेयर), महाराष्ट्र (0.17 लाख हेक्टेयर), त्रिपुरा (0.11 लाख हेक्टेयर), मणिपुर (0.04 लाख हेक्टेयर), उत्तराखंड (0.03 लाख हेक्टेयर) और जम्मू-कश्मीर (0.01 लाख हेक्टेयर) में कम बुआई हुई है.
पिछले वर्ष की इसी अवधि (127.57 लाख हेक्टेयर) की तुलना में दलहन के अंतर्गत लगभग 121.00 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवरेज दर्ज किया गया है. इस प्रकार पिछले वर्ष की तुलना में 6.57 लाख हेक्टेयर कम क्षेत्र कवर किया गया है. राजस्थान (1.31 लाख हेक्टेयर), मध्य प्रदेश (0.65 लाख हेक्टेयर), झारखंड (0.14 लाख हेक्टेयर), जम्मू-कश्मीर (0.10 लाख हेक्टेयर), छत्तीसगढ़ (0.10 लाख हेक्टेयर), बिहार (0.06 लाख हेक्टेयर) और पश्चिम बंगाल (0.01 लाख हेक्टेयर) में अधिक खेती हुई है.
दूसरी ओर, कर्नाटक (3.37 लाख हेक्टेयर), महाराष्ट्र (2.66 लाख हेक्टेयर), आंध्र प्रदेश (0.67 लाख हेक्टेयर), उत्तर प्रदेश (0.50 लाख हेक्टेयर), गुजरात (0.45 लाख हेक्टेयर), तेलंगाना (0.43 लाख हेक्टेयर), तमिलनाडु (0.32 लाख हेक्टेयर), ओडिशा (0.26 लाख हेक्टेयर), हरियाणा (0.13 लाख हेक्टेयर), असम (0.07 लाख हेक्टेयर), त्रिपुरा (0.05 लाख हेक्टेयर) और पंजाब (0.03 लाख हेक्टेयर) में दालों की कम बुआई हुई है.
पिछले वर्ष की इसी अवधि (194.33 लाख हेक्टेयर) की तुलना में तिलहन के तहत लगभग 192.20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवरेज की सूचना दी गई है. इस प्रकार पिछले वर्ष की तुलना में 2.12 लाख हेक्टेयर कम क्षेत्र कवर किया गया है. उच्च कवरेज वाले राज्यों में महाराष्ट्र (1.46 लाख हेक्टेयर), राजस्थान (0.81 लाख हेक्टेयर), उत्तर प्रदेश (0.52 लाख हेक्टेयर), मध्य प्रदेश (0.17 लाख हेक्टेयर), तेलंगाना (0.13 लाख हेक्टेयर), ओडिशा (0.13 लाख हेक्टेयर), मिजोरम (0.02 लाख हेक्टेयर), झारखंड (0.01 लाख हेक्टेयर), छत्तीसगढ़ (0.01 लाख हेक्टेयर), उत्तराखंड (0.01 लाख हेक्टेयर) और जम्मू और कश्मीर (0.01 लाख हेक्टेयर) के नाम हैं.
दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश (2.63 लाख हेक्टेयर), कर्नाटक (2.06 लाख हेक्टेयर), तमिलनाडु (0.37 लाख हेक्टेयर), बिहार (0.12 लाख हेक्टेयर), गुजरात (0.10 लाख हेक्टेयर), असम (0.06 लाख हेक्टेयर), त्रिपुरा (0.02 लाख हेक्टेयर), सिक्किम (0.02 लाख हेक्टेयर), पंजाब (0.01 लाख हेक्टेयर), हरियाणा (0.01 लाख हेक्टेयर) और अरुणाचल प्रदेश (0.01 लाख हेक्टेयर) में तिलहन की कम बुआई हुई है.
पिछले वर्ष की इसी अवधि (55.65 लाख हेक्टेयर) की तुलना में लगभग 59.91 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने का कवरेज दर्ज किया गया है. इस प्रकार पिछले वर्ष की तुलना में 4.26 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र कवर किया गया है. उच्च क्षेत्र वाले प्रदेशों में उत्तर प्रदेश (3.91 लाख हेक्टेयर), महाराष्ट्र (0.91 लाख हेक्टेयर), मध्य प्रदेश (0.29 लाख हेक्टेयर), पंजाब (0.16 लाख हेक्टेयर), तमिलनाडु (0.08 लाख हेक्टेयर), ओडिशा (0.01 लाख हेक्टेयर) और असम (0.01 लाख हेक्टेयर) के नाम हैं.
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गुजरात (0.40 लाख हेक्टेयर), बिहार (0.11 लाख हेक्टेयर), आंध्र प्रदेश (0.10 लाख हेक्टेयर), तेलंगाना (0.08 लाख हेक्टेयर), हरियाणा (0.05 लाख हेक्टेयर), कर्नाटक (0.04 लाख हेक्टेयर), उत्तराखंड (0.02 लाख हेक्टेयर), पश्चिम बंगाल (0.01 लाख हेक्टेयर) और छत्तीसगढ़ (0.01 लाख हेक्टेयर) में कम रकबा दर्ज किया गया है.
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