जलवायु परिवर्तन के चलते गायब होने की कगार पर महाराष्‍ट्र का मशहूर रायवल आम !

जलवायु परिवर्तन के चलते गायब होने की कगार पर महाराष्‍ट्र का मशहूर रायवल आम !

महाराष्‍ट्र के अल्‍फॉन्‍सो या हापुस के बारे में तो पूरी दुनिया जानती है लेकिन यहां के रायवल आमों के बारे में शायद ही आपको मालूम हो. अपने मीठे स्‍वाद और दिल को छू लेने वाली खुशबू वाले रायवल आम अब गायब होने की कगार पर आ गए हैं. पर्यावरण में बदलाव के चलते अब इन आमों का उत्‍पादन घटता जा रहा है.

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जलवायु परिवर्तन के चलते गायब होने की कगार पर महाराष्‍ट्र का मशहूर रायवल आम ! प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

महाराष्‍ट्र के अल्‍फॉन्‍सो या हापुस के बारे में तो पूरी दुनिया जानती है लेकिन यहां के रायवल आमों के बारे में शायद ही आपको मालूम हो. अपने मीठे स्‍वाद और दिल को छू लेने वाली खुशबू वाले रायवल आम अब गायब होने की कगार पर आ गए हैं. पर्यावरण में बदलाव के चलते अब इन आमों का उत्‍पादन घटता जा रहा है. ये आम इतने मीठे होते हैं कि कभी लोग इन्‍हें कच्‍चा ही खा जाते थे लेकिन अब इनका नजर आना असाधारण बात सी हो गई है. महाराष्‍ट्र के ठाणे जिले में आने वाले पालघर से सटे मुरबाद तालुका में इन आमों का उत्‍पादन कम होने से किसान निराश हैं और उन्‍हें लगता है कि जैसे आमों के साथ उनकी भी एक उम्र चली गई हो. 

इन आमों की खेती है बहुत आसान 

मुरबाद को चावल के उत्‍पादन के लिए भी जाना जाता है लेकिन यहां के रायवल आमों की अपनी ही एक अलग पहचान हैं. मराठी वेबसाइट अग्रोवन के अनुसार किसी समय में किसान पेड़ के नीचे बैठकर इन आमों को नाश्‍ते के तौर पर खाते हुए नजर आ जाते थे. छुट्टियों में बच्‍चे भी इन आमों का मजा पेड़ के नीचे बैठकर लेते थे. लेकिन जैसे-जैसे जलवायु गर्म होती गई, इन आमों का नजर आना सपने के जैसा हो गया. आज यहां का हर किसान या तो हापुस आमों की खेती में लगा है या फिर वह कालमी आमों को उगाना पसंद कर रहा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि रायवल आमों को उगाने में किसी तरह के रासायनिक उर्वरक या फिर कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ती है. 

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तूफान में भी पेड़ से नहीं गिरते आम 

मिट्टी की उवर्रता इन आमों की खेती के लिए सबकुछ है. लेकिन पर्यावरण में संतुलन भी एक अहम वजह है जो इसकी खेती को बढ़ावा देता है. कितने भी तूफान आ जाए, ये आम कभी भी अपने पेड़ से नहीं गिरते हैं.  मुरबाद के कई गांवों में कुछ खास आम उगाए जाते हैं. इन आमों को कई नामों से जाना जाता है जैसे खोबरा शाखारया और रताम्‍बा घोटया. गुजराती और मारवाड़ी समुदाय के लोग खासतौर पर इन आमों की मांग करते हैं. 

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सरकार की उपेक्षा से निराश किसान 

इसके अलावा पूरा मुरबाद तालुका अक्‍सर जंगल में लगने वाली आग का शिकार होता है. इस वजह से रायवल आमों के पेड़ जो अपने आप जंगल की मिट्टी में उग आते हैं, आग में जलकर खत्‍म हो जाते हैं. कृषि और फॉरेस्‍ट विभाग की तरफ से हर गांव की सीमाओं का निरीक्षण किया गया और इन पेड़ों का रजिस्‍ट्रेशन किया गया. साथ ही यह सुनिश्चित किया गया कि इन पेड़ों को काटा न जाए. किसानों की मांग है कि कुछ खास आमों का बीज बोने के लिए बीज का ही प्रयोग करना चाहिए और उन्‍हें भी हापुस आमों की तरह उगाना चाहिए. किसानों को इस बात का अफसोस है कि इस दिशा में कोई भी प्रयास नहीं किया जा रहा है. न ही सरकार इस तरफ ध्यान दे रही है ताकि स्‍थानीय बाजार में उन्‍हें इस आम की सही कीमत मिल सके. 


 
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