चावल और गेहूं जैसे अधिक खपत वाले अनाजों की तुलना में मोटे अनाजों के पौष्टिक मूल्य अधिक होते हैं. मोटे अनाज कैल्शियम, आयरन और फाइबर से भरपूर होते हैं और मानव शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को पूरा करने में मदद करते हैं. वही भारत के कई राज्यों में मोटे अनाजों की खेती होती है. भारत में साल 2018-19 में मोटे अनाजों का उत्पादन जहां 137.1 लाख टन था, वो 2020-21 में लगभग 40% बढ़कर 179.6 लाख टन हो गया है. यही वजह है कि भारत सरकार देश में मोटे अनाजों को और बढ़ावा दे रही है. वही मौजूदा वक्त में भारत विश्व में मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है.
कृषि मंत्रालय के मुताबिक, वैश्विक उत्पादों में भारत का अनुमानित हिस्सा लगभग 41 प्रतिशत है. एफएओ के अनुसार वर्ष 2020 में मोटे अनाजों का विश्व में 30.464 मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था जिसमें भारत का हिस्सा 12.49 मीट्रिक टन था, जो कुल मोटा अनाज उत्पादन का 41 प्रतिशत है. भारत ने 2021-22 में मोटा अनाज उत्पादन में 27 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जबकि इससे पहले के वर्ष में यह उत्पादन 15.92 मीट्रिक टन था.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्वीट कर बताया है कि भारत में साल 2018-19 में मोटे अनाजों का उत्पादन 137.1 लाख टन था जो 2020-21 में लगभग 40% बढ़कर 179.6 लाख टन हो गया है. वही दुनियाभर में मोटे अनाजों की औसत उपज 1229 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर है.
मिलेट्स उत्पादन में भारत प्रथम स्थान पर...#IYM2023 pic.twitter.com/2uYqA4iDkx
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) December 29, 2022
भारत के टॉप 5 मोटे अनाज उत्पादक राज्यों में राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश शामिल हैं. वही मोटे अनाजों का निर्यात में हिस्सा कुल उत्पादन का एक प्रतिशत है. लेकिन अनुमान है कि वर्ष 2025 तक मोटे अनाज का बाजार वर्तमान 9 बिलियन डॉलर बाजार मूल्य से बढ़कर 12 बिलियन डॉलर हो जाएगा.
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