आलू की कीमत में लगातार बढ़ोतरी जारी है. कई राज्यों में तो यह 26 रुपये किलो के पार पहुंच गया है. कहा जा रहा है कि मांग और सप्लाई में अंतर आने की वजह से कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है. वहीं, एक्सपर्ट का कहना है कि पिछले साल नवंबर महीने में हुई बेमौसम बारिश के चलते आलू की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा था. इससे उत्पादन में गिरावट आई है. यही वजह है कि कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि आलू की अखिल भारतीय खुदरा कीमत शनिवार को 26 रुपये प्रति किलोग्राम थी. जबकि एक महीने पहले तक आलू 20 रुपये किलो तक बिक रहा था. खास बात यह है कि ओडिशा में भी आलू की कीमत में आग लग गई है. वहां पर एक किलो आलू की कीमत 30 रुपये हो गई है. इससे आम जनता के किचन का बजट बिल्कुल बिगड़ गया है.
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खास बात यह है कि शनिवार को आलू की थोक कीमतें 1,944 रुपये प्रति क्विंटल रहीं, जो पिछले महीने के मुकाबे 11.44 फीसदी अधिक है. इस तरह वर्तमान में आलू का होलसेल रेट पिछले साल की तुलना में 33.18 फीसदी अधिक है. आलू व्यापारियों ने कहा कि दो प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में इसके उत्पादन में गिरावट आई है. यही वजह है कि कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यूपी के एक आलू व्यापारी गोपाल शर्मा ने कहा कि फिलहाल कोल्ड स्टोरेज में लोडिंग 10-12 फीसदी कम होने की सूचना है. उन्होंने कहा कि कम उत्पादन के कारण किसान अपने स्टॉक को तुरंत निपटाने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि वे कीमते बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं.
व्यापारियों ने कहा कि आलू की कीमतें ऊंची रहने की उम्मीद है, क्योंकि इस साल कुल पैदावार कम होने की संभावना है. इस साल की शुरुआत में जारी 2023-24 के लिए कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2023-24 में आलू का उत्पादन पिछले वर्ष के लगभग 60.14 मिलियन टन से गिरकर लगभग 58.99 मिलियन टन होने की उम्मीद है.
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