पंजाब में धीरे-धीरे गेहूं की खरीद रफ्तार पकड़ रही है. प्रदेश के अलग- अलग हिस्सों में शनिवार रात से रूक- रूक कर हो रही बारिश के बावजूद किसान मंडियों में उपज लेकर पहुंच रहे हैं. कहा जा रहा है कि पठानकोट, गुरदासपुर और अमृतसर को छोड़कर लगभग सभी जिलों के अंदर मंडियों में गेहूं की आवक शुरू हो गई है. खास बात यह है कि पटियाला और मनसा जिलों में अभी तक सबसे अधिक गेहूं की खरीद हुई है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब की मंडियों में अभी तक 84,484 टन गेहूं आ चुका है, जिसमें 42,967 टन सरकारी एजेंसियों द्वारा और 10,969 टन निजी व्यापारियों द्वारा खरीदा गया है. इसका मतलब यह है कि अब तक, गेहूं की आवक का 12.9 प्रतिशत निजी व्यापारियों द्वारा लगभग 2,330 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा गया है, जबकि एमएसपी 2,275 रुपये प्रति क्विंटल है. यानी निजी व्यापारी एमएसपी से ज्यादा रेट पर गेहूं खरीद रहे हैं.
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पटियाला की मंडियों में 25,743 टन, मनसा में 18,201 टन और मोहाली में 9,207 टन गेहूं की आवक हुई है. इमें से खरीदारी भी सबसे अधिक पटियाला में 19,201 टन, मनसा में 11,703 टन और मोहाली में 9,161 टन में हुई है. खास बात यह है कि चार जिले पठानकोट, गुरदासपुर और अमृतसर में अभी तक गेहूं की कोई आवक नहीं हुई है. हालांकि, तरनतारन जिले की मंडियों में गेहूं आना शुरू हो गया है, लेकिन अभी तक कोई खरीद नहीं हुई है.
अधिकारियों को उम्मीद है कि इस सप्ताह के अंत तक आवक चरम पर पहुंच जाएगी, जो पिछले साल की तुलना में बहुत देर हो चुकी है. पिछले साल अब तक मंडियों में 10.84 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई थी और 8.21 लाख टन गेहूं खरीदा गया था. हालांकि, 1 अप्रैल को देश का गेहूं भंडार 75.02 लाख टन होने का अनुमान है. सरकारी एजेंसियों को आने वाले दिनों में अपनी खरीद बढ़ाने की उम्मीद है. यहां तक कि निजी व्यापारियों को भी इस साल अधिक मात्रा में गेहूं खरीदने की उम्मीद है.
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एक प्रमुख आटा मिल मालिक ने कहा कि चूंकि सरकार अपने अन्न भंडार को भरना चाहती है और यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उसके पास बंपर स्टॉक हो. ऐसे में हमें डर है कि स्टॉक सीमा पर प्रतिबंध हम पर लगाया जा सकता है, जैसा कि कुछ राज्यों में अनौपचारिक रूप से किया गया है. यही कारण है कि आटा मिल मालिक अभी भी अधिक अनाज खरीदने और स्टॉक करने से सावधान हैं. उन्होंने कहा कि चूंकि कई किसानों को उम्मीद है कि खरीद खत्म होने के बाद गेहूं की कीमतें बढ़ेंगी, इसलिए बड़े किसान भी स्टॉक रोककर रखेंगे, ताकि बाद में ऊंची कीमतों पर बेच सकें.
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