सहजन या मोरिंगा एक औषधीय पौधा है. सहजन के लगभग सभी भागों का उपयोग किया जा सकता है. जिससे इसकी खेती करने वाले किसानों की आमदनी और बढ़ जाती है. मौजूदा वक्त में आमतौर पर सहजन का उपयोग भोजन, दवा और पशुचारा आदि में किया जाता है. वही सहजन का फूल, फल और पत्तियों का लोगों के द्वारा भोजन के रूप इस्तेमाल किया जाता है, जबकि छाल, पत्ती, बीज, और जड़ आदि से औषधीय दवाइयां तैयार की जाती हैं. इसकी पत्तियां पशुचारा के रूप में भी इस्तेमाल की जाती हैं. वैसे तो सहजन की फसल में कोई कीट या रोग जल्दी नहीं लगते, लेकिन कुछ कीट या रोग ऐसे हैं जिनसे फसल की उपज प्रभावित होने की संभावना बनी रहती है. ऐसे में आइए आज उनके बारे में विस्तार से जानते हैं-
भुआ पिल्लू कीट: सहजन में भुआ पिल्लू कीट का भी प्रकोप हो जाता है. यह कीट पूरे पौधे की पत्तियों को खा जाता है और आसपास में भी फैल जाता है. इस पर नियंत्रण पाने के लिए अनुशंसित मात्रा में डाइक्लोरोवास को पानी में घोलकर पौधों पर स्प्रे करना चाहिए.
भूमिगत कीट या दीमक: सहजन के खेत में जिस क्षेत्र में कीट की समस्या हो उस क्षेत्र में इमिडाक्लोप्रिड 600 FS को अनुशंसित मात्रा में पानी में मिलाकर उसका घोल बीजों पर समान रूप से स्प्रे कर उपचारित करें या फिपरोनिल 5 SC से 10 मिलीलीटर प्रति किलो बीज उपचारित करें. उसके बाद से रोपण करें. इसके अलावा अंतिम जुताई के दौरान क्यूनोलफॉस 1.5% चूर्ण 10 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में डाल दें. अगर यह नहीं कर पा रहे हैं, तो जैविक फफूंदनाशी बुवेरिया बेसियाना या मेटारिजियम एनिसोपली की एक किलो मात्रा को एक एकड़ खेत में सौ किलो गोबर की खाद में मिलाकर खेत में बिखेर दें.
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रसचूसक कीट: अगर खेत में रसचूसक कीट की समस्या है तो बचाव के लिए एसिटामिप्रीड 20% SP की 80 ग्राम मात्रा या थियामेंथोक्साम 25% WG की 100 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे कर दें. यह मात्रा एक एकड़ क्षेत्र के लिए भरपूर है. वही जैविक उपचार के तौर पर बवेरिया बेसियाना पाउडर की 250 ग्राम मात्रा भी प्रति एकड़ की दर से स्प्रे किया जा सकता है.
फल मक्खी: सहजन के फल पर फल मक्खी का भी आक्रमण होने की संभावना होती है. इस फल मक्खी कीट पर नियंत्रण पाने के लिए डाइक्लोरोवास 0.5 मिली. एक लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करने पर आसानी से नियंत्रण पाया जा सकता है.
जड़ सड़न रोग: सहजन में जड़ सड़न रोग की समस्या होने पर नियंत्रण के लिए 5-10 ग्राम ट्राइकोडर्मा द्वारा प्रति किलो की दर से बीज उपचार किया जा सकता है. रासायनिक कार्बेन्डाजिम 50% WP की 2 ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी में मिलाकर जमीन में तने के पास डालें.
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