हरियाणा के किसानों से परमल धान उपज खरीद का टारगेट 60 लाख मीट्रिक टन तय था.हरियाणा में परमल धान किस्म की खरीद का टारगेट पूरा नहीं हो सका है. राज्य और केंद्र की एजेंसियां तय खरीद अवधि तक तय टारगेट से 6 लाख टन कम खरीद ही कर सकी हैं. इसके पीछे विपरीत मौसम, दूसरी किस्मों में किसानों की शिफ्टिंग समेत कई वजहें सामने आई हैं. बता दें कि परमल धान गैर बासमती चावल की एक किस्म है जो हरियाणा में बड़े पैमाने पर बोई जाती है. यह किस्म कम समय में अधिक उत्पादन देने के चलते किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है.
हरियाणा के किसानों से परमल धान उपज खरीद का टारगेट 60 लाख मीट्रिक टन तय था, जिससे खरीद एजेंसियां 6 लाख टन उपज की कम खरीद कर सकी हैं. 15 नवंबर को परमल किस्मों की खरीद समाप्त होने के साथ ही हरियाणा 2024 सीजन के लिए अपने धान के लक्ष्य से 6 लाख मीट्रिक टन पीछे रह गया है. सभी खरीद एजेंसियों ने राज्य की सभी अनाज मंडियों में 60 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य के मुकाबले 53.96 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस साल की खरीद पिछले सीजन में हासिल की गई 59 लाख मीट्रिक टन से भी काफी पीछे है.
परमल धान खरीद में लगभग आधी हिस्सेदारी तीन जिलों कुरुक्षेत्र, करनाल और कैथल की रही. कुरुक्षेत्र जिले से सबसे ज्यादा 10,30,357.65 मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है. इसके बाद करनाल से 8,40,444.73 मीट्रिक टन और कैथल 8,38,915.62 मीट्रिक टन परमल धान खरीदी गई है. इन तीनों जिलों में किसानों ने परमल धान की बुवाई भी जमकर की थी.
इसके अलावा एजेंसियों ने फतेहाबाद में 7,42,995.61 मीट्रिक टन, यमुनानगर में 6,10,337.08 मीट्रिक टन, अंबाला में 6,06,820.55 मीट्रिक टन, सिरसा में 2,98,627.77 मीट्रिक टन, जींद में 2,06,877.72 मीट्रिक टन, पंचकूला में 1,01,245.43 मीट्रिक टन, हिसार में 59,805.19 मीट्रिक टन, पलवल में 24,353.44 मीट्रिक टन, पानीपत में 21,644.25 मीट्रिक टन, रोहतक में 6,861.15 मीट्रिक टन, सोनीपत में 5,419.09 मीट्रिक टन, फरीदाबाद में 1,839.19 मीट्रिक टन और झज्जर में 93.11 मीट्रिक टन धान की खरीद की है.
परमल धान खरीद में कमी के लिए मौसम की स्थिति, फसल पैटर्न में बदलाव और कड़े निगरानी उपायों सहित विभिन्न फैक्टर्स को जिम्मेदार ठहराया गया है. द ट्रिब्यून के अनुसार कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि परमल घान की बाली आने और पकने के दौरान हुई बारिश ने उत्पादन को प्रभावित किया. जबकि, कई किसानों ने परमल किस्मों की बुवाई की बजाय 1509 बासमती किस्म की बुवाई की है. वहीं, फसल विविधीकरण ने भी परमल धान उत्पादन गिरावट में भूमिका निभाई है. इन वजहों से परमल धान की उपज और आवक घट गई, जिसके नतीजे में खरीद के लिए उपलब्ध परमल धान की मात्रा कम पाई गई और खरीद टारगेट 6 लाख टन कम रह गया.
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