धान की खेती मुख्य रूप से खरीफ सीजन में की जाती है. खपत को देखते हुए अधिकांश किसान लंबे समय से धान की खेती करते आ रहे हैं. ऐसे में समय के साथ धान की खेती करने के तरीके में भी कई बदलाव देखे गए हैं. पहले किसान इसकी परंपरागत खेती करते थे. लेकिन अब धान की नई और उन्नत किस्मों की मदद से खेती की जा रही है. जिसमें मेहनत और पैसा दोनों की बचत होती है. ऐसे में आज हम धान की उन किस्मों के बारे में जानेंगे, जिनकी खेती करके किसान प्रति हेक्टेयर 55 से 60 क्विंटल उपज प्राप्त कर सकते हैं.
आपको बता दें कि इन किस्मों को कृषि विज्ञान केंद्रों और कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित किया जाता है. फिर इसे सैंपल के तौर पर किसानों को दिया जाता है. सफल होने पर इसे देश के सभी किसानों को दिया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं धान की इन उन्नत किस्मों (improved varieties of paddy) के बारे में विस्तार से:
पूसा 1460 (PUSA 1460) धान की एक उच्च उपज वाली किस्म है जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा नई दिल्ली, भारत में पूसा संस्थान में विकसित किया गया था. PUSA 1460 यह किस्म अपनी उच्च उपज क्षमता और अच्छी अनाज गुणवत्ता के लिए जानी जाती है. इसकी मध्यम अवधि लगभग 125-130 दिनों की होती है और इष्टतम बढ़ती परिस्थितियों में इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 50 से 55 क्विंटल की पैदावार प्राप्त कर सकते है.
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पूसा सुगंध 3 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा नई दिल्ली, भारत में पूसा संस्थान में विकसित सुगंधित धान की उच्च उपज वाली किस्म है. यह किस्म अपने उत्कृष्ट सुगंधित गुणों और अनाज की अच्छी गुणवत्ता के लिए जानी जाती है. इसकी मध्यम अवधि लगभग 125-130 दिनों की होती है और इष्टतम बढ़ती परिस्थितियों में प्रति हेक्टेयर 40 से 45 क्विंटल धान का उत्पादन कर सकता है.
DRR 45 धान चावल की एक उच्च उपज वाली किस्म है जिसे भारत के हैदराबाद में चावल अनुसंधान निदेशालय (DRR) द्वारा विकसित किया गया था. यह किस्म धान चावल की एक छोटी अवधि, अर्ध-बौनी किस्म है, जिसका अर्थ है कि इसकी ऊंचाई पारंपरिक किस्मों की तुलना में कम है. यह लगभग 110-120 दिनों में परिपक्व हो जाती है और इष्टतम बढ़ती परिस्थितियों में प्रति हेक्टेयर 55 से 60 क्विंटल धान का उत्पादन कर सकती है.
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