ओडिशा के किसानों को फूलों की खेती से अधिक लाभ कमाने और उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्रीय औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) मदद करेगा. राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (NBRI) भी किसानों को तकनीक के जरिए मौसम अनुकूल फूलों की खेती के तरीके सिखाएगा. दोनों संस्थानों ने ओडिशा में किसान उत्पादक संगठन SSFPCL से हाथ मिलाया है. इस एफपीओ से 1200 किसान जुड़े हुए हैं.
सबुजा सनातनपाली किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड (SSFPCL) ओडिशा का पहला फूल उत्पादन आधारित किसान उत्पादक संगठन (FPO) है. इसे वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (NBRI) लखनऊ के साथ फूलों की खेती के लिए रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए करार किया है. इसके तहत FPO से जुड़े 1200 किसानों को फसल विविधता बढ़ाने, पौधे और पर्यावरण के बीच संबंधों को समझने को बढ़ावा दिया जाएगा. पौधों में सुधार के लिए जैव प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाएगा.
ओडिशा में 6,500 हेक्टेयर क्षेत्र में फूलों की खेती होती है और इससे सालाना लगभग 24,800 टन फूल और लगभग 5,500 लाख कटे हुए फूल पैदा होते हैं. हालांकि, फूलों का यह उत्पादन राज्य की मांग का केवल 10 फीसदी ही पूरा कर पाता है. बाकी फूलों की जरूरत पूरी करने के लिए कोलकाता, बेंगलुरु, दिल्ली और हैदराबाद से खरीद की जाती है. फूलों के खपत के अनुरूप उत्पादन नहीं होने की स्थिति ने स्थानीय कारोबारियों को फूलों की खेती में उतरने का अवसर दिया है.
भारत का कुल फूलों की खेती का निर्यात 2022-23 में 707.81 करोड़ रुपये दर्ज किया गया था. भारतीय फूलों की उपज को प्रमुख रूप से अमेरिका, नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और जर्मनी खरीदते हैं. केंद्र सरकार फूलों के रकबे को बढ़ाने के लिए लंबे समय से जोर दे रहा है. इसके लिए सरकारी संस्थान राज्यों के एफपीओ के सदस्य किसानों से जुड़ रहे हैं.
SSFPCL किसान उत्पादक संगठन में 1200 से ज्यादा छोटे और सीमांत किसान सदस्य हैं. इनमें से 50 फीसदी संख्या महिला किसानों की है. जबकि, इस एफपीओ के जरिए लगभग 3,500 किसानों को लाभ पहुंचाता है. फूलों की खेती के अलावा SSFPCL एफपीओ कई तरह के एग्रीकल्चर प्रोडक्ट भी बेचता है, जिसमें आम, गोभी, मिर्च, फूलगोभी और भिंडी शामिल हैं. यह सब्जियां किसानों के खेतों में उगाई जाती हैं.
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