प्याज के निर्यात को मंजूरी देने के दो महीने पूरे होने वाले हैं और तब से प्याज की कीमतों में धीरे-धीरे उछाल दर्ज किया गया है. इससे ट्रेडर्स और किसानों को लाभ पहुंच रहा है. हालांकि, महंगाई से परेशान उपभोक्ताओं की जेब और ढीली हो रही है. बीते 2 सप्ताह के दौरान मंडियों में प्याज की कीमतों में 30 फीसदी तक का उछाल दर्ज किया गया है.
प्याज की कम कीमत मिलने से परेशान किसान और कारोबारियों की मांग पर केंद्र सरकार ने बीते मई महीने के पहले हफ्ते में निर्यात बंदी खोल दी थी, लेकिन पाकिस्तान की सस्ती प्याज से विदेशी खरीदारों ने अपने स्टॉक भर लिए थे. अब बीते 15 दिन से विदेशी खरीदारों के स्टॉक खत्म हुए हैं तो भारतीय प्याज की मांग बढ़ी है. इससे प्याज की घरेलू कीमतों में उछाल दर्ज किया जा रहा है. भारतीय किसानों और ट्रेडर्स को कीमतें बढ़ने से लाभ मिल रहा है.
दिल्ली एनसीआर में प्याज की कीमतों में भी उछाल दर्ज किया गया है. आजादपुर मंडी में बीते 2 सप्ताह में प्याज की थोक कीमतों में 33 फीसदी से अधिक का उछाल आया है. मंडी के आंकड़ों के बताते हैं कि 3 जून को प्याज की औसत कीमत 750 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो 14 दिन में बढ़कर 18 जून को औसत कीमत 1000 रुपये हो गई.
उत्तर प्रदेश की लखनऊ मंडी में प्याज की कीमतों में सबसे तेजी से बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. बीते 2 सप्ताह में प्याज की थोक कीमतों में 34 फीसदी से अधिक का उछाल दर्ज किया गया है. सरकारी एग्रीकल्चर कमोडिटी मार्केटिंग प्लेटफॉर्म के आंकड़ों के अनुसार एशिया की सबसे बड़ी थोक मंडी में शुमार आजादपुर में प्याज की 4 जून को औसत कीमत 1520 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो 15 दिन में बढ़कर 16 जून को औसत कीमत 2050 रुपये हो गई. प्याज की थोक कीमत में 34 फीसदी का उछाल आया है.
केंद्र सरकार ने दिसंबर 2023 में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था. उसके बाद रबी सीजन की प्याज की आवक बाजार में बढ़ी तो किसानों को सबसे कम 1-2 रुपये प्रति किलो कीमत पर प्याज बेचनी पड़ी. महाराष्ट्र समेत कई इलाकों में किसानों ने लागत तक न निकलने के चलते सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए उपज को सड़क फेंक दिया. तब से किसान निर्यात बंदी हटाने की मांग को लेकर लामबंद थे. आखिरकार मई के पहले सप्ताह में सरकार ने प्याज निर्यात को खोल दिया.
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