प्याज एक्सपोर्ट बैंन के खिलाफ महाराष्ट्र के किसानों में केंद्र सरकार के प्रति गुस्सा है. क्योंकि इस फैसले की वजह से प्याज का दाम काफी कम हो गया है. जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है. उनकी जेब पर असर पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि जब प्याज का दाम काम रहता है तब सरकार उनकी मदद करने नहीं आती और जब दाम बढ़ने लगता है तब घटाने के लिए आ जाती है. ऐसा कैसे हो सकता है की एक ही सरकार हमारा नुकसान करने आ जाती है लेकिन फायदा करने के लिए सामने नहीं आती. एक्सपोर्ट बैन के बाद दाम कम से कम 1000 से 1500 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गया है
एक्सपोर्ट बैन से पहले महाराष्ट्र में प्याज का दाम 5000 से 5500 रुपये प्रति क्विंटल तक था जो अब घटकर 2000 से 4000 रुपये तक रह गया है. इसलिए किसान सवाल पूछ रहे हैं कि सरकार सिर्फ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा क्यों करती है. क्या किसान वोट नहीं देते. केंद्र सरकार ने 7 दिसंबर को प्याज के निर्यात पर बैन लगा दिया है. जिसकी वजह से किसानों का नुकसान हो रहा है. कई मंडियों में प्याज का न्यूनतम दाम सिर्फ 200 से 600 रुपये प्रति क्विंटल तक ही रह गया है.
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भारत प्याज का बड़ा निर्यातक है. इसलिए यहां से बड़े पैमाने पर 50 से अधिक देशों में प्याज भेजा जाता है. अब एक्सपोर्ट बैन होने की वजह से वह प्याज अपने यहां के बाजार में ही आने लगा है. आवक बढ़ने से दाम कम हो गया है. जब आवक कम होती है तब दाम ज्यादा मिलता है. सोलापुर मंडी में तो प्याज की इतनी आवक हो रही है कि उठान न हो पाने की वजह से रोजाना नीलामी नहीं हो पा रही है. इसलिए वहां एक दिन छोड़कर प्याज की नीलामी हो रही है. दूसरी मंडियों में भी प्याज की बंपर आवक हो रही है, जिसकी वजह से दम गिरा है.
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