महाराष्ट्र का सोलापुर एक ऐसा जिला बन गया है जहां किसानों को सबसे कम कीमत पर प्याज बेचना पड़ता है. इस मंडी में अक्सर किसानों को न्यूनतम सिर्फ 1 रुपये किलो का दाम मिलता है. इस मंडी में किसानों को कम दाम मिलने का रिकॉर्ड कई साल से बनता आया है, लेकिन 27 मई को यहां अधिकतम दाम का भी रिकॉर्ड बन गया. महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार मंडी में 12048 क्विंटल प्याज बिकने के लिए आया. न्यूनतम दाम 100 तो अधिकतम 2750 रुपये क्विंटल रहा. बोर्ड के अनुसार 27 मई को 25 मंडियों में अधिकतम दाम प्रति क्विंटल 2000 या उससे अधिक रहा. हालांकि न्यूनतम दाम में ज्यादा सुधार नहीं है, जिस पर अधिकांश किसान प्याज बेचते हैं. न्यूनतम दाम 100 से लेकर 1800 रुपये के बीच है.
प्याज की निर्यातबंदी खत्म हुए 24 दिन हो चुके हैं, लेकिन किसानों का आरोप है कि उन्हें इसका कोई फायदा नहीं मिला. किसानों का कहना है कि सरकार अगर प्याज निर्यात पर 550 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य और उस पर 40 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी न लगाई होती तो दाम अच्छा मिलता. इन दोनों शर्तों की वजह से निर्यात वाला प्याज दूसरे देशों के दाम से ज्यादा है, इसलिए पर्याप्त निर्यात नहीं हो पा रहा है, जिससे किसानों को अच्छे दाम का फायदा नहीं मिल पा रहा है. इसलिए महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन इन दोनों शर्तों को हटाने की मांग कर रहा है.
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बोर्ड के अनुसार 27 मई को सबसे ज्यादा 25000 क्विंटल प्याज की आवक पिंपलगांव बसवंत में हुई. अहमदनगर में 24996, मुंबई अनियन एंड पोटैटो मार्केट में 12608, सोलापुर में 12048, मालेगांव में 11500 और लासलगांव-विंचुर में 11430 क्विंटल प्याज बिकने को आया. दूसरी ओर हिंगणा में सिर्फ 2, पुणे-पिम्परी में 16, कामठी में 6 और कल्याण में सिर्फ 3 क्विंटल प्याज की आवक हुई. जिन मंडियों में आवक ज्यादा है उनमें दाम कम है.
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